'स्वराज अभियान' ने SC का किया रुख, MGNREGA के लिए धन आवंटन याचिका पर सुनवाई की मांग की
राजनीतिक दल ‘स्वराज अभियान’ ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का रुख कर अपनी उस याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुजारिश की जिसमें केंद्र को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि राज्यों के पास मनरेगा को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।

नई दिल्ली, एजेंसी। राजनीतिक दल 'स्वराज अभियान' ने ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा को लागू करने के लिए राज्यों के पास पर्याप्त कोष सुनिश्चित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने की उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई के लिए मंगलवार को उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने वकील प्रशांत भूषण की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि संबंधित पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए याचिका का उल्लेख किया जा सकता है।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'हम आपको न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ (जिनके समक्ष मामला पहले सूचीबद्ध था) के समक्ष इसका उल्लेख करने की स्वतंत्रता देंगे।'
मनरेगा के श्रमिक गंभीर संकट का कर रहे सामना
राजनीतिक दल ने अपनी ताजा दलील में कहा, 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत श्रमिकों के समूह वर्तमान में गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। उनकी बकाया मजदूरी बढ़ रही है और अधिकतर राज्यों में ऋण शेष भी बढ़ रहा है।’
इसमें कहा गया है कि 26 नवंबर, 2021 की स्थिति के अनुसार, राज्य सरकारें 9,682 करोड़ रुपये की कमी का सामना कर रही हैं और वर्ष के लिए आवंटित धन का 100 प्रतिशत वर्ष के समापन से पहले ही समाप्त हो गया है।
धन की कमी का यह बहाना कानून का घोर उल्लंघन
मनरेगा मजदूरी भुगतान पर शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देते हुए स्वराज अभियान ने कहा, 'धन की कमी का यह बहाना कानून का घोर उल्लंघन है।'
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने के निर्देश जारी किए जाएं कि राज्यों के पास अगले एक महीने के लिए कार्यक्रम को लागू करने के लिए पर्याप्त धन हो।
राज्य सरकार को अग्रिम रूप से न्यूनतम धन मिले
याचिका में कहा गया है, ‘जिस महीने की मांग पिछले साल में सबसे अधिक थी, उसे आधार महीने के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, जिसके लिए राज्य सरकार को अग्रिम रूप से न्यूनतम धन प्रदान किया जाना चाहिए।’
इस याचिका में केंद्र और राज्यों को ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा 31 मई, 2013 को जारी निर्देश का पालन करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है कि श्रमिक प्रौद्योगिकियों के माध्यम से काम के लिए अपनी मांग दर्ज करने में सक्षम हों और इसके लिए दिनांकित पावती रसीद प्राप्त कर सकें।
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