Swaroopanand Saraswati: स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को आज दी जाएगी समाधि, जानें- कौन होगा उत्तराधिकारी
Swaroopanand Saraswati द्वारका एवं शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में आखिरी सांस ली। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में आज समाधि दी जाएगी। जानें- कौन होगी शंकराचार्य का उत्तराधिकारी?
नई दिल्ली/ जबलपुर, जेएनएन। द्वारकापीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swaroopanand saraswati) का निधन रविवार को दोपहर में हो गया। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देवलोक गमन के बाद उनके उत्तराधिकारी के नाम पर चर्चा तेज हो गई है। उनके उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा आज हो सकती है। उत्तराधिकारी की घोषणा के बाद संत समाज द्वारका और ज्योतिष पीठ पर फैसला लेगा। उनके उत्तराधिकारी के रूप में दो लोगों के नाम की चर्चा तेज है। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती 99 साल के थे। उन्हें सोमवार को मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में समाधि दी जाएगी।
ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के प्रमुख शिष्य दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती व अविमुक्तेश्वरानंद हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन्हीं में से किसी एक को महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा जा सकता है। हालांकि, इस संदर्भ में अब तक कोई अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। यह जानकारी शंकराचार्य आश्रम, परमहंसी गंगा क्षेत्र, झोतेश्वर के पंडित सोहन शास्त्री ने दी।
दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती
इनका जन्म नरसिंहपुर के बरगी नामक ग्राम में हुआ। पूर्व नाम रमेश अवस्थी है। आप 18 वर्ष की आयु में शंकराचार्य आश्रम खिंचे चले आए। ब्रह्मचारी दीक्षा के साथ ही इनका नाम ब्रह्मचारी सदानंद हो गया। बनारस में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा दंडी दीक्षा दिए जाने के बाद इन्हें दंडी स्वामी सदानंद के नाम से जाना जाने लगा। ये गुजरात में द्वारका शारदापीठ में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में अभी कार्य संभाल रहे हैं।
दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
इनका जन्म उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में हुआ। बचपन का नाम उमाकांत पांडे है। ये बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रनेता भी रहे। अविमुक्तेश्वरानंद युवावस्था में शंकराचार्य आश्रम में आए। ब्रह्मचारी दीक्षा के साथ ही इनका नाम ब्रह्मचारी आनंद स्वरूप हो गया। बनारस में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा दंडी दीक्षा दिए जाने के बाद इन्हें दंडी स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के नाम से जाना जाने लगा। वह अभी उत्तराखंड स्थित बद्रिकाश्रम में शंकराचार्य के प्रतिनिधि के रूप में ज्योतिष्पीठ का कार्य संभाल रहे हैं।