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राजनाथ की दखल के बाद छूटे थे जैश के दस संदिग्ध

राजनाथ सिंह ने दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक वर्मा को तलब कर साफ कर दिया कि सिर्फ संदेह के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।

By Atul GuptaEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 02:20 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2016 02:57 AM (IST)
राजनाथ की दखल के बाद छूटे थे जैश के दस संदिग्ध

नई दिल्ली, नीलू रंजन। आंतकवाद जैसे सनसनीखेज मुद्दों पर भी अब कार्रवाई सिर्फ सबूतों के आधार पर ही होगी। पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट कर दिया गया है कि संदिग्धों की गिरफ्तारी में भी सतर्क रहें और भूल चूक हुई भी तो उसे जल्द से जल्द सुधारें। हाल में जैश-ए-मोहम्मद से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार दस संदिग्ध केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के हस्तक्षेप के बाद छूटे। चार दिन की पड़ताल के बाद उन संदिग्धों के खिलाफ पुलिस ने कोई सबूत नहीं पाया था।

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वक्त वक्त पर संसद से लेकर दूसरे मंच से भी यह आवाज उठती रही है कि आतंकवाद के आरोप में कई संदिग्ध जिंदगी के कई बरस जेल में गुजारते हैं। अल्पसंख्यक वर्गो की ओर से इसे लेकर कई बार विभिन्न सरकारों के दरवाजे भी खटखटाए गए हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस दिशा में पहला कदम पिछले ही महीने उठाया। खुद राजनाथ ने इसकी पुष्टि की कि उन्होंने पुलिस कमिश्नर को एहतियात बरतने और ठोस जानकारी इकट्ठी कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।

गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने तीन मई को संदिग्ध आतंकी गतिविधयों के आरोप में 13 युवाओं को हिरासत में लिया था। इन पर जैश ए मोहम्मद से जुड़े आतंकियों से संपर्क बनाने और आतंकी हमले की तैयारियों में जुटने का आरोप था। लेकिन आरोपी युवाओं के परिजनों का कहना था कि वे आतंकी गतिविधियों में कभी संलिप्त नहीं रहे और पुलिस ने सिर्फ संदेह के आधार पर उन्हें हिरासत में लिया है।

पुलिस और परिजनों के परस्पर विरोधी दावों को देखते हुए राजनाथ ने दिल्ली पुलिस आयुक्त आलोक वर्मा को तलब किया और साफ कर दिया कि सिर्फ संदेह के आधार पर किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए। हड़बड़ी में कोई निर्दोष शिकार नहीं बनना चाहिए। गिरफ्तार केवल उसे ही किया जाए, जिसके खिलाफ ठोस सबूत हो। सूत्रों के अनुसार इसके बाद दिल्ली पुलिस ने हिरासत में लिए सभी संदिग्धों के बारे में पूरी छानबीन की और दस युवाओं को छोड़ दिया। जिन तीन युवाओं के खिलाफ ठोस सबूत मिले थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

दरअसल इसी बहाने सरकार जम्मू-कश्मीर से लेकर पूर्वोत्तर तक यह संदेश देने की कोशिश में है कि केंद्र सरकार निर्दोषों के साथ खड़ी है। पूरी संवेदनशीलता के साथ उनके हितों की रक्षा की जाएगी। एक प्रकार से यह घाटी में आतंकियों को मिल रहे समर्थन को कम करने की कोशिश भी है।

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