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चीन के साथ सीमा विवाद पर सरकार को मिला विपक्ष का साथ

राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर उन्हें चीन से गतिरोध व कश्मीर के हालात की जानकारी दी।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Fri, 14 Jul 2017 08:15 AM (IST)Updated: Fri, 14 Jul 2017 09:29 PM (IST)
चीन के साथ सीमा विवाद पर सरकार को मिला विपक्ष का साथ

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के मुद्दे पर देश में एक राय बनाने के लिए सरकार ने चीन के साथ जारी विवाद और कश्मीर के हालात पर विपक्षी दलों को साथ लेकर चलने की कोशिश की है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, रक्षा व वित्त मंत्री अरुण जेटली और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मौजूदगी में विपक्षी दलों को यह स्पष्ट कर दिया गया कि सरकार न तो देश के अंदर मौजूद अलगाववादियों के सामने झुकेगी और न ही बड़े पड़ोसी चीन से डरेगी। जाहिर तौर पर विपक्ष की ओर से कुछ सवाल उठे जो यह संकेत छोड़ गया है कि आगामी मानसून सत्र में राजनीति गर्म दिखेगी। लेकिन शुक्रवार की बैठक का आखिरी लब्बोलुबाब यही था कि हर राजनीतिक दल एकजुट है।

गृहमंत्रालय की ओर से कश्मीर मुद्दे के हालात पर विपक्षी दलों को समझाया गया तो विदेश मंत्रालय ने सिक्किम-भूटान सीमा पर (डोकलाम) पर चीन के साथ जारी विवाद पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया। विपक्षी दलों ने चीन के मुद्दे पर तो सरकार को साथ देने का भरोसा दिया, लेकिन कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंता जताई।

बैठक के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने कहा है कि हम लोग चीन और जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर अपनी शंकाएं सरकार के प्रतिनिधियों के सामने रखी। उन्होंने कहा कि हमने सरकार को तनाव कम करने के लिए कूटनीतिक विकल्प तलाशने की सलाह दी। आनंद शर्मा ने कहा है कि उनकी पार्टी के लिए राष्ट्रहित सर्वोपरि है और राष्ट्रहित के लिए हम सरकार का पूरा सहयोग करेंगे। लेकिन विपक्ष के रूप में सरकार की नीति की खामियों को उजागर करने से भी नहीं चूकेंगे।

संसद के मानसून सत्र के ठीक पहले बुलाई इस बैठक को चीन के साथ डोकलाम में तनातनी के मद्देनजर अहम माना जा रहा है। चीन के राजदूत के साथ कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की मुलाकात के तूल पकड़ने के बाद संसद में इस मुद्दे पर अलग-अलग राय सामने आने का अंदेशा बढ़ गया था। विदेश सचिव एस जयशंकर ने विपक्षी नेताओं को डोकलाम के ताजा हालात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह चीन भूटान के क्षेत्र में अतिक्रमण करने की कोशिश कर रहा है और भारत के लिए उसे रोकना क्यों जरूरी है। सरकार की ओर से विपक्ष को आश्वास्त किया गया कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा और सीमाओं के अतिक्रमण का माकूल जवाब दिया जाएगा।

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी के अनुसार सरकार ने विपक्ष को इस मुद्दे को बातचीत के जरिये सुलझा लिया जाने का भरोसा दिया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बागले के मुताबिक बैठक में यह आम सहमति थी कि भारत और चीन विवाद को अस्ताना में हुई बातचीत के मुताबिक सुलझाया जाना चाहिए।

वहीं अगले गृह सचिव के तौर पर नामित राजीव गौबा ने कश्मीर पर विस्तृत प्रजेंटेशन दिया। तीन दिन पहले ही अमरनाथ यात्रियों पर हमले के बाद कुछ विपक्षी नेताओं ने कश्मीर में सेना की कुछ कार्रवाइ को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने सुरक्षा में कुछ खामियों को स्वीकार किया। गौबा का कहना था कि आतंकी कुछ हमलों में भले ही सफल रहे हों, लेकिन जमीनी हालात अब भी बेकाबू नहीं है। उन्होंने बताया कि पिछले साल कुल 2.2 लाख लोगों ने अमरनाथ गुफा का दर्शन किया। लेकिन इस साल 16 दिनों में ही 1.86 लाख लोग दर्शन कर चुके हैं। जबकि 19 दिन की यात्रा अभी बाकि है। कश्मीर में सरकार की रणनीति का ज्यादा खुलासा तो नहीं किया, लेकिन भरोसा दिया कि अगले दो महीने में स्थिति में सुधार दिखना शुरू हो जाएगा।

राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज ने विपक्षी नेताओं का आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की। रक्षामंत्री अरुण जेटली और एनएसए अजीत डोभाल भी बैठक में मौजूद थे। विपक्षी नेताओं में दो पूर्व रक्षा मंत्रियों शरद पवार और मुलायम सिंह यादव को भी बुलाया गया था। बैठक में विभिन्न दलों के कुल 19 सांसद मौजूद थे। पीआइबी के प्रधान महानिदेशक फ्रैंक नरोना ने कहा कि बाकि बचे दलों के सांसदों को शनिवार को हालात के बारे में जानकारी दी जाएगी।

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