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    सूरत की अदालत ने सात वर्षीय जैन बच्ची की दीक्षा पर लगाई रोक, पिता की याचिका पर फैसला

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 10:52 PM (IST)

    सूरत की अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में सात वर्षीय जैन बच्ची की दीक्षा पर रोक लगा दी है। यह फैसला बच्ची के पिता द्वारा दायर की गई याचिका पर आया है, ज ...और पढ़ें

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    सूरत कोर्ट का फैसला।

    राज्य ब्यूरो, सूरत। सूरत जिले के एक परिवार न्यायालय ने सात साल की बच्ची के साध्वी बनने के लिए दीक्षा लेने पर अंतरिम रोक लगा दी है। जैन समाज की बच्ची के पिता ने अदालत से गुहार लगाई थी। पिता ने याचिका में कहा था कि बच्ची की मां जो उनसे अलग रहती है, वह उनकी मर्जी के खिलाफ बच्ची को दीक्षा दिलाना चाहती है। बच्ची अभी बहुत छोटी है। वह खुद इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकती है।

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    पिता की गुहार पर अदालत ने मां को आदेश दिया है कि वह हलफनामा दे कि बच्ची को दीक्षा में शामिल नहीं होने देगी। परिवार अदालत की जज एसवी मंसूरी ने बच्ची की दीक्षा पर रोक लगा दी। यह आठ फरवरी 2026 को मुंबई में होना था। याचिकाकर्ता के वकील संपत्ति मेहता ने फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि अदालत ने बच्ची की दीक्षा पर अंतरिम रोक लगाने की मांग मान ली है।

    अदालत ने मां से हलफनामा भी मांगा है। इसमें मां को लिखित देना होगा कि वह बच्ची दीक्षा समारोह में हिस्सा नहीं लेने देगी। अगली सुनवाई दो जनवरी को होगी।

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया था महिला ने इस मुद्दे पर विवाद के बाद करीब एक साल पहले पति का घर छोड़ दिया था। वह अपनी बेटी और बेटे के साथ अपने माता-पिता के साथ रहने लगी थी। लड़की के पिता ने 10 दिसंबर को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि उनकी अलग रह रही पत्नी ने उनकी मर्जी के खिलाफ मासूम बच्ची को दीक्षा दिलाकर साध्वी बनाने का फैसला लिया है।

    गार्जियंस एंड वा‌र्ड्स एक्ट 1890 के तहत पिता ने बच्ची के हितों की रक्षा के लिए उसका कानूनी अभिभावक बनाने की मांग की है। परिवार न्यायालय की जज मंसूरी ने पति की याचिका पर पत्नी को नोटिस जारी किया है। पत्नी से 22 दिसंबर तक जवाब मांगा गया था। पिता ने अदालत को बताया कि उसने 2012 में शादी की थी। उसके दो बच्चे हैं। पति-पत्नी 2024 से अलग रह रहे हैं।

    पिता की ओर से याचिका में अदालत को यह भी बताया गया है कि उसने बेटी के साध्वी बनने के मुद्दे पर पत्नी से बात की थी। दोनों इस बात पर सहमत थे कि लड़की जब बालिग हो जाएगी तब साध्वी बनने का निर्णय लेगी। हालांकि पत्नी चाह रही थी कि बच्ची फरवरी 2026 में मुंबई में एक बड़े समारोह में जैन साध्वी बनने की दीक्षा ले।

    पति ने याचिका में यह भी बताया कि उसकी पत्नी कहती है कि वह तभी वापस आएगी जब वह बच्ची की दीक्षा के लिए रजामंद हो जाएंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पत्नी बेटी को धार्मिक आयोजनों में ले जाती थीं और एक बार बिना उनकी अनुमति के बेटी को अहमदाबाद के एक गुरु के आश्रम में अकेला छोड़ आई थीं।

    याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उनकी पत्नी ने एक बार बेटी को मुंबई के एक अन्य जैन मुनि के आश्रम में छोड़ दिया था और वहां उन्हें बेटी से मिलने की अनुमति नहीं दी गई थी।