विवाह को रद करने के अपने अधिकार की समीक्षा करेगा सुप्रीम कोर्ट, 28 सितंबर को होगा इस मुद्दे पर मंथन
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 28 सितंबर को इस बात की समीक्षा करने का फैसला किया है कि क्या उसके पास दो पक्षों के बीच विवाह को रद करने की शक्ति है भले ही एक पक्ष की सहमति न हो।

नई दिल्ली, एजेंसियां: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 28 सितंबर को इस बात की समीक्षा करने का फैसला किया है कि क्या उसके पास दो पक्षों के बीच विवाह को रद करने की शक्ति है, भले ही एक पक्ष की सहमति न हो। इस मुद्दे को तैयार करते हुए जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, हम मानते हैं कि एक और सवाल जिस पर विचार करने की आवश्यकता होगी, वह यह होगा कि क्या अनुच्छेद 142 के तहत उसकी शक्ति किसी भी तरह से बाधित होती है, जहां अदालत को लगता है कि विवाह का टूटना तय है, लेकिन पार्टियों में से एक शर्तों के लिए सहमति नहीं दे रहा है।
पीठ ने वरिष्ठ वकील वी. गिरी को न्याय मित्र बनाया है। शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर भी सुनवाई करेगी कि अनुच्छेद 142 के तहत उसके अधिकार के प्रयोग के व्यापक मानदंड क्या हो सकते हैं, ताकि विवाह को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना भंग किया जा सके।
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