डीजे पर रोक लगाने वाले आदेश पर पुनर्विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट, शीर्ष न्यायालय में 15 से होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट 15 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें डीजे सर्विस पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। आदेश में कहा गया है कि डीजे बजाए जाने से ध्वनि प्रदूषण होता है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट 15 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा जिसमें डीजे सर्विस पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। आदेश में कहा गया है कि डीजे बजाए जाने से ध्वनि प्रदूषण होता है। वह अप्रिय और मन खिन्न करने वाला होता है।
शीर्ष न्यायालय ने 2019 में हाईकोर्ट के निर्देशों का क्रियान्वयन कर दिया था स्थगित
शीर्ष न्यायालय ने अक्टूबर 2019 में हाईकोर्ट के निर्देशों का क्रियान्वयन स्थगित कर दिया था। साथ ही कहा था कि डीजे ऑपरेटरों की अर्जियों पर विचार होगा और अगर वे कानून के अनुसार काम करते पाए गए तो उन्हें कार्य जारी रखने की अनुमति दी जाएगी।
डीजे मामले की सुनवाई जस्टिस सरन और जस्टिस माहेश्वरी की पीठ करेगी
मामले की सुनवाई जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ करेगी। याचिकाकर्ताओं के वकील को निर्देशित किया गया है कि वह अपनी याचिका की प्रतिलिपि उत्तर प्रदेश सरकार को भी उपलब्ध कराएं जिससे वह अपना पक्ष रख सके।
हाईकोर्ट द्वारा डीजे सेवा पर रोक लगाने से ऑपरेटरों और उनके परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट
मामले के कई याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए अधिवक्ता दुष्यंत पाराशर ने कहा कि डीजे ऑपरेटर विवाह समारोह, जन्मदिन पार्टी और खुशी के अन्य मौकों पर अपनी सेवाएं देकर रोजी-रोटी चलाते हैं। हाईकोर्ट द्वारा उनकी सेवा पर पूरी तरह से रोक लगाने से इन ऑपरेटरों और इनके परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के चलते डीजे पर रोक लगाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह आदेश 20 अगस्त, 2019 को पारित किया था। इसमें ध्वनि प्रदूषण रोकथाम नियम 2000 का उल्लेख करते हुए डीजे पर रोक लगाई गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के 2005 के एक आदेश का भी उल्लेख किया गया है जिसमें ध्वनि प्रदूषण से रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक असर पड़ने की बात कही गई है।
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