सुप्रीम कोर्ट ने NEET-PG 2022 की काउंसलिंग में दखल देने से किया इनकार, कहा- छात्रों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकते
Supreme Court on NEET PG 2022 सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी 2022 काउंसलिंग में दखल देने और इसे रोकने से इनकार दिया है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा करके वह छात्रों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकता है।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह नीट-पीजी 2022 काउंसलिंग में दखल नहीं देगा और न ही रोकेगा। शीर्ष अदालत ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि वह छात्रों की जिंदगी को खतरे में नहीं डाल सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी तब आई जब एक वकील द्वारा नीट-पीजी 2022 से संबंधित एक याचिका का उल्लेख किया गया।
Supreme Court says it will not interfere and stall NEET-PG 2022 Counselling as it cannot put students' lives in jeopardy. Supreme Court's observation came when a plea was mentioned before it relating to NEET-PG 2022 by a lawyer. pic.twitter.com/vRrroWaDBf
— ANI (@ANI) August 29, 2022
एक सितंबर से शुरू होगी काउंसलिंग प्रक्रिया
बता दें, नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (National Eligibility cum Entrance Test) नीट पीजी के लिए काउंसिलिंग प्रक्रिया 1 सितंबर से शुरू होगी। अधिकारियों के अनुसार, सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्वविद्यालयों और अखिल भारतीय कोटे की 50 फीसद सीटों और मेडिकल और डेंटल कालेजों की 50 फीसद राज्य कोटे की सीटों के लिए एक साथ काउंसलिंग शुरू होगी।
अखिल भारतीय कोटे की सीटों, राज्य के मेडिकल और डेंटल कालेजों और केंद्रीय और डीम्ड विश्वविद्यालयों में सीटों के लिए केवल वही उम्मीदवार काउंसलिंग प्रक्रिया के लिए आवेदन कर सकते हैं, जो स्टूडेंट्स NEET-PG 2022 परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं।
जनवरी में आयोजित की जाती है नीट परीक्षा
NEET-PG परीक्षा जनवरी में आयोजित की जाती है। वहीं काउंसलिंग मार्च में शुरू होती है, लेकिन कोरोना महामारी और पिछले साल की प्रवेश प्रक्रिया के स्थगित होने के कारण इस साल यह परीक्षा 21 मई 2022 को आयोजित की गई थी। रिजल्ट 1 जून को घोषित किए गए थे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की जनहित याचिका
गौरतलब है कि 29 जुलाई 2022 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन डाक्टरों की ओर से दायर एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें स्नातकोत्तर चिकित्सा शिक्षा (संसोधन ) विनियम 2018 के विनियमन 9 (3) को रद्द करने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने याचिका को खारिज किया।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने 10 जून 2022 को आल इंडिया कोटा (एआईक्यू) के स्ट्रे वेकेंसी राउंड के आयोजन के बाद उपलब्ध रिक्त सीटों के लिए उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने की अनुमति देने के लिए काउंसलिंग का एक विशेष स्ट्रे राउंड आयोजित करने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था।
शिक्षा की गुणवत्ता से नहीं किया जा सकता समझौता
न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की अवकाश पीठ ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं किया जा सकता है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अब राहत देने से चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है।
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि यह तीन साल का कोर्स है और आधे से अधिक समय बीत चुका है और सभी सीटों की अच्छी मात्रा गैर-नैदानिक सीटें हैं।
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