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    SC Verdict on Final Year Exam: अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    दायर याचिका में कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए अंतिम परीक्षा रद्द करने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 6 जुलाई के परिपत्र को चुनौती दी गई है।

    By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Fri, 28 Aug 2020 12:35 AM (IST)
    SC Verdict on Final Year Exam: अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द करने पर सुप्रीम कोर्ट आज सुनाएगा फैसला

    नई दिल्‍ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को फैसला सुनाएगा। इसमें दायर याचिका में कोरोना वायरस की स्थिति को देखते हुए अंतिम परीक्षा रद्द करने और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के 6 जुलाई के परिपत्र को चुनौती दी गई है। 

    देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों, राज्य विश्वविद्यालयों, डीम्ड विश्विद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, इन सभी से सम्बद्ध महाविद्यालयों और अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसला 28 अगस्त यानि शुक्रवार को को निर्णय सुनाये जाने की उम्मीद है।

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    आज फैसला आने की उम्मीद

    उच्चतम न्यायालय द्वारा विश्वविद्यालयों की अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिका पर निर्णय जल्द आने की उम्मीद है। उच्चतम न्यायालय में 18 अगस्त 2020 को मामले की सुनवाई पूरी कर ली गयी थी और न्यायालय द्वारा फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम. आर. शाह की खण्डपीठ द्वारा की जा चुकी है।

    क्या हुआ था 18 अगस्त को हुई पिछली सुनवाई के दौरान?

    विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं को 30 सितंबर तक करा लेने के यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को जारी निर्देशों को चुनौती देनी वाली विभिन्न याचिकाओं पर एक साथ 18 अगस्त को हुई पिछली और अंतिम सुनवाई के दौरान विभिन्न राज्यों – महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और ओडिशा की दलीलों को भी सुना गया, क्योंकि इन राज्यों की सरकारों ने परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला स्वयं ही ले लिया था। यूजीसी द्वारा सुनवाई के दौरान इन राज्यों के फैसले को आयोग के सांविधिक विशेषाधिकारों के विरूद्ध बताया गया था।