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    केजरीवाल ही दिल्ली के असली बॉस, ट्रांसफर और पोस्टिंग का मिला अधिकार, प्रशासनिक सेवाओं को लेकर SC का बड़ा फैसला

    By AgencyEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Thu, 11 May 2023 12:27 PM (IST)

    Supreme Court verdict on Delhi दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आ गया है। कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने सेवाओं के नियंत्रण पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनी हुई सरकार के पास ही असली शक्ति होनी चाहिए।

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    Supreme Court verdict on Delhi दिल्ली प्रशासनिक मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

    नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पास ही असली शक्ति होनी चाहिए।

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    SC ने कहा- चुनी हुई सरकार के पास ही असली शक्ति

    चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने दिल्ली के प्रशासनिक सेवाओं के निर्णय लेने के मामले में अपना फैसला दे दिया है। न्यायाधीश ने कहा कि ये फैसला बहुमत का फैसला है। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि चुनी हुई सरकार के पास असली शक्ति होनी चाहिए और उसी के पास ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार होगा।

    LG हर फैसला सरकार से पूछकर लें

    सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और माना कि नौकरशाहों पर उसका नियंत्रण होना चाहिए। कोर्ट ने ये भी कहा कि एलजी को सरकार के साथ हर फैसले के लिए सरकार से बात करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह लोगों के प्रति जवाबदेह है, लेकिन उसके अधिकार कम है।

    नहीं तो अधिकारी अनियंत्रित हो जाएंगे...

    सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है। अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, जो जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा।

    तबादलों और पोस्टिंग को लेकर विवाद

    CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद पर आज बहुमत से फैसला सुनाया। इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसले के बाद ये साफ हो गया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ही अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग को लेकर प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करेगी।

    सुप्रीम कोर्ट ने 18 जनवरी को आदेश रखा था सुरक्षित

    पीठ ने केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से क्रमश: सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी की पांच दिन दलीलें सुनने के बाद 18 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

    संविधान पीठ का गठन दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र और दिल्ली सरकार की विधायी एवं कार्यकारी शक्तियों के दायरे से जुड़े कानूनी मुद्दे की सुनवाई के लिए किया गया था। पिछले साल छह मई को शीर्ष कोर्ट ने इस मुद्दे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेज दिया था।