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    'अंग्रेजों के जमाने के कानून से बढ़ रहे केस', जमीन रजिस्ट्रेशन सिस्टम पर SC ने दिए सुझाव

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 01:37 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में जमीन की रजिस्ट्री और स्वामित्व व्यवस्था बदलने की जरूरत है, क्योंकि आज भी अंग्रेजों के जमाने के कानून लागू हैं, जिससे भ्रम और मुकदमेबाजी बढ़ रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भूमि रजिस्ट्रेशन प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए ब्लॉकचेन जैसी आधुनिक तकनीक अपनाने का सुझाव दिया है। देश में लगभग 66% दीवानी मामले जमीन विवादों से जुड़े हैं।

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    जमीन रजिस्ट्रेशन सिस्टम पर SC ने दिए सुझाव (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में जमीन की रजिस्ट्री और स्वामित्व व्यवस्था अब पूरी तरह बदलने की जरूरत है। अदालत ने बताया कि आज भी प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री से जुड़े कानून अंग्रेजों के जमाने के हैं, जिनकी वजह से भ्रम, देरी और भारी मुकदमेबाजी हो रही है।

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    जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जॉयमाला बागची की बेंच ने कहा कि ये तीन सौ साल पुराने कानून आज के समय में अप्रासंगिक हो चुके हैं। इन्हीं पुराने नियमों के कारण रजिस्ट्री और स्वामित्व के बीच असमानता बनी हुई है। अदालत ने बिहार रजिस्ट्रेशन रूल्स 2008 के नियम 19 को रद करते हुए टिप्पणी की।

    SC ने केंद्र को दिए सुझाव

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि भूमि रजिस्ट्रेशन प्रणाली को पारदर्शी और सुरक्षित बनाने के लिए ब्लॉकचेन जैसी आधुनिक तकनीक अपनाने पर विचार किया जाए। कोर्ट ने विधि आयोग को इस विषय पर विस्तृत अध्ययन करने को कहा है।

    अदालत ने कहा कि विधि आयोग केंद्र और राज्य सरकारों, विशेषज्ञों और संबंधित पक्षों से राय लेकर रिपोर्ट तैयार करे। कोर्ट का मानना है कि रजिस्ट्रेशन के मौजूदा सिस्टम ने प्रॉपर्टी डील को बेहद जटिल और अनिश्चित बना दिया है। संपत्ति खरीदना अब आघात जैसा अनुभव बन गया है।

    कितने मामले जमीन से जुड़े हैं?

    कोर्ट ने बताया कि देश में लगभग 66% दीवानी मामले जमीन या संपत्ति विवादों से जुड़े हैं। पुराने कानूनों और अव्यवस्थित प्रशासनिक प्रक्रियाओं की वजह से फर्जी दस्तावेज, देरी, अतिक्रमण और बिचौलियों की भूमिका बढ़ी है।

    अदालत ने कहा कि सिर्फ रिकॉर्ड को डिजिटल करने से समस्या खत्म नहीं होगी, क्योंकि अगर कागजी रिकॉर्ड में गलती है तो उसका डिजिटल रूप भी गलत रहेगा। कोर्ट ने डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड्स मॉर्डर्नाइजेशन प्रोग्राम और नेशनल जेनरिक डॉक्यूमेंट सिस्टम की सराहना की लेकिन इसे पर्याप्त नहीं बताया।

    इन चीजों में सुधार की है जरूरत

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह संस्थागत सुधार के लिए पहल करे। साथ ही, ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट (1882), रजिस्ट्रेशन एक्ट (1908), इंडियन स्टैम्प एक्ट (1899), एविडेंस एक्ट (1872), सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) और डेटा प्रोटेक्शन एक्ट (2023) की समीक्षा और संशोधन करने की जरूरत है।

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