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    सुप्रीम कोर्ट ने कोल इंडिया की अंतरिम कोयला नीति को रखा बरकरार, हाईकोर्ट के फैसले को किया खारिज

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sat, 13 Sep 2025 06:26 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोल इंडिया लिमिटेड की 2006 की अंतरिम कोयला नीति की वैधता को बरकरार रखा। इस नीति के तहत गैर-प्रमुख क्षेत्र (नान कोर सेक्टर) के उद्योगों को आपूर्ति किए गए कोयले की कीमत में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 2012 के निर्णय को खारिज कर दिया जिसने इस नीति को असंवैधानिक करार दिया था।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कोल इंडिया की अंतरिम कोयला नीति को रखा बरकरार

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कोल इंडिया लिमिटेड की 2006 की अंतरिम कोयला नीति की वैधता को बरकरार रखा। इस नीति के तहत गैर-प्रमुख क्षेत्र (नान कोर सेक्टर) के उद्योगों को आपूर्ति किए गए कोयले की कीमत में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 2012 के निर्णय को खारिज कर दिया, जिसने इस नीति को असंवैधानिक करार दिया था। कोल इंडिया ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

    जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कहा, हाई कोर्ट ने विवादित निर्णय पारित करते समय गंभीर त्रुटि की। हम अंतरिम कोयला नीति को वैध मानते हैं। 128 पृष्ठों के निर्णय को लिखते हुए जस्टिस पार्डीवाला ने कहा कि अधिसूचित कीमतों के ऊपर 20 प्रतिशत की वृद्धि का उद्देश्य कोयले की आपूर्ति बनाए रखना और सभी श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए बाजार में इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करना था।

    यह नहीं कहा जा सकता कि अपीलकर्ता (कोयला इंडिया) द्वारा गैर-कोर क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए अंतरिम कोयला नीति में 20 प्रतिशत की वृद्धि लाभ के उद्देश्य से प्रेरित थी।

    शीर्ष अदालत ने निर्णय में तीन प्रमुख मुद्दों पर विचार किया, जिसमें यह भी शामिल था कि क्या कोल इंडिया के पास अंतरिम कोयला नीति को अधिसूचित करने का अधिकार था। दूसरा मुद्दा यह था कि क्या गैर-कोर क्षेत्र के उपभोक्ताओं के लिए अंतरिम कोयला नीति में अधिसूचित मूल्य के ऊपर 20 प्रतिशत की वृद्धि संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) के संदर्भ में वैध थी।

    अगर 20 प्रतिशत की वृद्धि वैध नहीं थी तो क्या निजी कंपनियां 20 प्रतिशत अतिरिक्त लागत की वापसी के लिए पात्र हैं। पहले मुद्दे पर अदालत ने निर्णय में कहा कि मूल्य को विनियमित करने के अपीलकर्ता के अधिकारों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। दूसरे प्रश्न का निर्णय लेते हुए, कहा गया, हम कोर क्षेत्र और गैर-कोर क्षेत्र के बीच की वर्गीकरण की पुष्टि करते है।

    लिंक्ड नॉन-कोर सेक्टर उपभोक्ताओं के लिए अधिसूचित कीमतों में 20 प्रतिशत की वृद्धि के उद्देश्य के अवलोकन से पता चलता है कि कोल इंडिया की कार्रवाई लाभ की मंशा से प्रेरित नहीं थी। तीसरे मुद्दे का उत्तर देते हुए न्यायालय ने कहा, यदि हम अंतरिम कोयला नीति को अमान्य मानते, तो भी हम 20 प्रतिशत अतिरिक्त राशि की वापसी का आदेश देने से इन्कार कर देते।