कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों को लगाना होगा QR कोड? सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर भोजनालयों में क्यूआर कोड लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है। जस्टिस एमएम सुंद्रेश और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अपूर्वानंद झा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता का कहना है कि क्यूआर कोड लगाने का आदेश पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का उल्लंघन है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा मार्ग में भोजनालयों पर क्यूआर कोड लगाने के आदेश को चुनौती देने वाली अर्जी पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर उससे जवाब मांगा है।
ये नोटिस मंगलवार को जस्टिस एमएम सुंद्रेश व एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने अपूर्वानंद झा की अर्जी पर सुनवाई के बाद जारी किया। अपूर्वानंद झा ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले सभी भोजनालयों में क्यूआर कोड लगाने के आदेश को चुनौती देते हुए कहा है कि क्यूआर कोड के आदेश के पीछे उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर विक्रेताओं की पहचान उजागर करना है।
वकील ने जवाब दाखिल करने के लिए मांगा समय
इस आदेश से सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के अंतरिम आदेश का उल्लंघन होता है। मंगलवार को यह अर्जी सुनवाई पर लगी थी। उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील ने कोर्ट से इस नई अर्जी का जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा। कोर्ट ने अर्जी पर नोटिस जारी किया और उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब के लिए समय देते हुए मामले को मामले को 22 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।
SC में दाखिल अर्जी में क्या कहा गया?
दाखिल अर्जी में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा मार्ग के भोजन विक्रेताओं को अपने बैनर के साथ क्यूआर कोड प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है जिसमें तीर्थ यात्री दुकान मालिक का ब्योरा जान सकेंगे। अर्जीकर्ता का कहना है कि क्यूआर कोड लगाने का आदेश सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल के अंतरिम आदेश के खिलाफ है जिसमें कोर्ट ने कहा था कि विक्रेताओं को उनकी पहचान उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
कोर्ट के आदेश को दरकिनार करने का लगा आरोप
अर्जी में कहा गया है कि न्यायालय का आदेश दरकिनार करने के लिए ही अधिकारियों ने इस साल नए निर्देश जारी किए हैं जिसमें कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया है जिससे मालिकों के नाम और पहचान का पता चलता है। इस निर्देश के पीछे उद्देश्य तीर्थ यात्रा मार्ग पर विक्रेताओं की धार्मिक पहचान को उजागर करना है।
अर्जीकर्ता का कहना है कि सरकारी निर्देशों का कोई कानूनी आधार नहीं है। इसका उद्देश्य धार्मिक ध्रुवीकरण और भेदभाव पैदा करना है। कहा गया है कि कानूनी लाइसेंस आवश्यकताओं की आड़ में धार्मिक और जातिगत पहचान उजागर करने का निर्देश निजता के अधिकारों का उल्लंघन है।
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