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    Assam NRC: असम में संदिग्ध नागरिकों को आधार की मांग पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, धारा 411 के संशय को किया समाप्त

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Thu, 08 Sep 2022 04:52 AM (IST)

    असम में संदिग्ध नागरिकों को आधार कार्ड जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट विचार करने को तैयार हो गया है। अदालत ने याचिका को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

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    असम में संदिग्ध नागरिकों को आधार की मांग पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

    नई दिल्ली, एजेंसियां: असम में संदिग्ध नागरिकों को आधार कार्ड जारी करने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट विचार करने को तैयार हो गया है। अदालत ने याचिका को दो सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) में करीब 27 लाख लोगों को संदिग्ध नागरिकों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

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    असम से संबंधित एनआरसी का 2019 में प्रकाशन हुआ था। प्रधान न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ ने राज्य सभा सदस्य सुष्मिता देव के वकील की दलीलों को सुनने के बाद इस मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। राज्यसभा सदस्य सुष्मिता देव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, असम सरकार, भारत के महापंजीयक और विशिष्ट पहचान प्राधिकरण को नोटिस जारी किया था।

    सिर्फ चोरी का सामान रखना अपराध नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केवल चोरी के सामान को अपने पास रखना अपराध तय करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अभियोजन को यह साबित भी करना होगा कि आरोपित को यह जानकारी थी कि यह चोरी की संपत्ति है। जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश राय की पीठ ने बुधवार को आइपीसी के तहत बेईमानी से चोरी की संपत्ति प्राप्त करने के अपराध के लिए शिव कुमार नामक एक व्यक्ति को सुनाई गई दो साल की जेल की सजा और 1,000 रुपये जुर्माने को रद कर दिया।

    पीठ ने आइपीसी की धारा 411 के बारे में विस्तार से बताया जो चोरी की संपत्ति बेईमानी से प्राप्त करने के अपराध से संबंधित है। अदालत ने कहा कि सफल अभियोजन के लिए यह साबित करना पर्याप्त नहीं है कि आरोपित या तो लापरवाह था या उसके पास यह सोचने का कोई कारण था कि संपत्ति चोरी की है या कि वह खरीदे गए सामान के बारे में पर्याप्त पूछताछ करने में विफल रहा। पीठ ने कहा, सामान पर कब्जा अवैध नहीं हो सकता, लेकिन यह जानते हुए कि यह चोरी की संपत्ति थी, इसे दोषी बनाता है।