Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दिल्ली के जामिया नगर में चलेगा बुलडोजर या लगेगी रोक? सुप्रीम कोर्ट करेगा आखिरी फैसला; पढ़ें पूरा मामला

    By Agency Edited By: Piyush Kumar
    Updated: Thu, 29 May 2025 08:03 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के जामिया नगर में अवैध संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने याचिकाकर्ता से हाई कोर्ट जाने को कहा लेकिन वकील ने 15 दिन पहले नोटिस देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जिसका पालन नहीं हुआ। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उन्हें बिना सुनवाई के खाली करने को कहा गया है।

    Hero Image
    दिल्ली के जामिया नगर में अवैध संपत्तियों के प्रस्तावित ध्वस्तीकरण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर।(फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली के जामिया नगर में अवैध संपत्तियों के प्रस्तावित ध्वस्तीकरण के खिलाफ याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमति जताई है। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवाई और जस्टिस आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने प्रारंभ में वकील से कहा कि वे नगर निगम द्वारा जारी ध्वस्तीकरण नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में जाएं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    तब याची के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश था, जिसमें 15 दिन पहले नोटिस देना जरूरी था। लेकिन यहां सिर्फ एक नोटिस चिपकाया गया है और उसमें कहा गया है कि हमें खाली कर देना चाहिए। यह नोटिस 26 मई को चिपकाया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यदि इस पर सुनवाई हो जाए, तो हमें कुछ राहत मिल सकती है।

    जामिया नगर इलाके में कई घरों को विध्वंस करने का दिया गया नोटिस

    इसके बाद पीठ ने इस याचिका को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई। हाल ही में अधिकारियों ने दिल्ली के ओखला स्थित जामिया नगर इलाके में कई घरों को विध्वंस के नोटिस जारी किए हैं। इनमें कहा गया है कि ये संपत्तियां उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की भूमि पर अतिक्रमण कर बनाई गई हैं।

    22 मई को जारी और संबंधित संपत्तियों पर चिपकाए गए नोटिसों में कहा गया है कि सभी को सूचित किया जाता है कि ओखला, खिजरबाबा कालोनी अतिक्रमण कर बनाई गई है। इस भूमि पर बने मकान और दुकानें अवैध हैं और इन्हें 15 दिनों के भीतर हटा दिया जाना चाहिए।

    यह कदम सुप्रीम कोर्ट के आठ मई के उस निर्देश के बाद उठाया गया है, जिसमें डीडीए को कानून के तहत ओखला गांव में अवैध निर्माणों को गिराने का निर्देश दिया गया था। यह याचिका 40 लोगों द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने दावा किया है कि वे वास्तविक निवासी और संपत्ति के मालिक हैं। एडवोकेट आन रिकार्ड अदील अहमद के माध्यम से दाखिल इस आवेदन का तत्काल सुनवाई के लिए मामला उठाया गया।

    यह भी पढ़ें: 'शराब पीकर इंसान जानवर बन जाता है', 7 साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले डॉक्टर पिता को SC ने लगाई फटकार