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    ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी पर हटेगा बैन? सुप्रीम कोर्ट सुनवाई के लिए तैयार

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 08:51 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुआ और सट्टेबाजी मंचों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। यह याचिका सीएएससी द्वारा दायर की गई है। अदालत 17 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई करेगी। याचिका में ऑनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 के तहत जुए पर रोक लगाने के लिए मंत्रालयों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि इससे समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

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    सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन जुए पर याचिका

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जवाबदेही और प्रणालीगत परिवर्तन केंद्र (सीएएससी) द्वारा दायर उस जनहित याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करने की सहमति दे दी है, जिसमें केंद्र सरकार से ऐसे आनलाइन जुआ और सट्टेबाजी मंचों पर प्रतिबंध लगाने का अनुरोध किया गया है, जो सामाजिक और ई-स्पो‌र्ट्स गेम्स की आड़ में संचालित होते हैं।

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    सुप्रीम कोर्ट में ऑनलाइन जुए पर याचिका

    चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने बृहस्पतिवार को सीएएससी की ओर से पेश वकील विराग गुप्ता की दलीलों पर गौर किया और 17 अक्टूबर को जनहित याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई। याचिका में केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी, सूचना एवं प्रसारण, वित्त एवं युवा मामले और खेल मंत्रालय को आनलाइन गेमिंग अधिनियम, 2025 के प्रचार और विनियमन के प्रविधानों तथा राज्य विधानसभाओं द्वारा बनाए गए कानूनों की सामंजस्यपूर्ण व्याख्या करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है ताकि सामाजिक और ई-स्पो‌र्ट्स गेम की आड़ में आनलाइन जुआ और सट्टेबाजी के खेल पर रोक लगाई जा सके।

    17 अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई

    याचिका में छह प्रतिवादियों का उल्लेख है, जिनमें चार केंद्रीय मंत्रालय और प्रमुख ऐप स्टोर संचालक एपल इंक तथा गूगल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं। सीएएससी का प्रतिनिधित्व कर रहे उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम ¨सह और शौर्य तिवारी ने अदालत से अनुरोध किया है कि सरकार को सट्टेबाजी और जुए के एप के प्रसार पर रोक लगाने का निर्देश दिया जाए। याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि भारत की लगभग आधी आबादी आनलाइन गे¨मग में लिप्त है, जिससे समाज और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)