'नकल रोकने के कई तरीके, लेकिन इंटरनेट पर प्रतिबंध क्यों?', सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर; 29 जनवरी को अगली सुनवाई
विभिन्न राज्यों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के मामलों से जुड़ी एक याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि उसने राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखकर अदालत द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने को कहा है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया है कि कल रोकने के नाम पर विभिन्न राज्यों द्वारा इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को विभिन्न राज्यों में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के मामलों की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा कि उसने राज्यों के प्रमुख सचिवों को लिखकर अदालत द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करने को कहा है।
हालांकि, इस दौरान याचिकाकर्ता की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि नकल रोकने के नाम पर विभिन्न राज्यों द्वारा इंटरनेट पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है, लेकिन परीक्षा में नकल रोकने के तमाम तरीके हैं। इस तरह इंटरनेट पर प्रतिबंध डिजिटल इंडिया की आर्थिक गतिविधियों पर असर डालता है।
अनुराधा भसीन मामले का हवाला
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और पीबी वराले की पीठ को केंद्र सरकार द्वारा अनुराधा भसीन बनाम भारत सरकार मामले में इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी दी गई।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इंटरनेट पर अनिश्चितकाल के लिए पाबंदी अवैध है और इंटरनेट प्रतिबंधित करने का आदेश जरूरत और अनुपातिकता पर खरा उतरना चाहिए। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 जनवरी तय की है ।
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