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    अस्पताल में बच्चा बदलने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, छत्तीसगढ़ सरकार को नोटिस जारी

    Updated: Wed, 03 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट छत्तीसगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल में बच्चा बदलने के आरोप की सुनवाई के लिए सहमत हो गया है। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने छत्तीसगढ़ सरकार और रायपुर स्थित अस्पताल के निदेशक को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें एफआइआर दर्ज करने से मना कर दिया गया था।

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    अस्पताल में बच्चा बदलने के आरोप पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई (पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के एक प्राइवेट अस्पताल में बच्चा बदलने का आरोप लगाने वाली एक दंपती की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया है और कहा है कि इस मामले पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने एक सितंबर को छत्तीसगढ़ सरकार और रायपुर स्थित अस्पताल के निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है।

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    याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के जनवरी के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एक शिकायत की जांच के अलावा डाक्टर और अस्पताल के निदेशक के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का निर्देश देने से इन्कार कर दिया गया था।

    अस्पताल में बच्चा बदलने का मामला

    शिकायत के अनुसार, महिला ने अस्पताल में एक लड़की और एक लड़के को जन्म दिया, लेकिन बाद में उसे पता चला कि दोनों लड़कियां थीं। दावों के बाद, डीएनए परीक्षण कराया गया और नतीजों में याचिकाकर्ताओं के साथ केवल एक लड़की का ही मिलान हुआ। माता-पिता ने मामले की जांच की मांग करते हुए इसे बच्चों की अदला-बदली का स्पष्ट मामला बताया है।

    सुप्रीम कोर्ट पहुंचा दंपति

    याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने कहा कि हाई कोर्ट इस बात पर विचार करने में विफल रहा कि क्या शिकायत की उचित जांच की गई थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि उनके मुवक्किल ने अस्पताल में लड़का और लड़की को जन्म दिया था या नहीं। हाई कोर्ट में बहस के दौरान राज्य के वकील ने छह विशेषज्ञ डाक्टरों की एक जांच समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसने अस्पताल के सभी दस्तावेजों को सही पाया और किसी भी प्रकार की बच्चा चोरी की संभावना से इन्कार किया।

    अस्पताल के निदेशक ने हाई कोर्ट को सूचित किया कि अधिकारियों ने मामले की गहन जांच की है और रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। अस्पताल पर किसी भी आपराधिक कृत्य का आरोप नहीं लगाया गया, जिसके बारे में कहा गया था कि उसने बच्चों को छुट्टी के समय उनके माता-पिता को सौंप दिया था।

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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