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संविधान में देश का नाम 'इंडिया' की जगह हो 'भारत', याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

देश के अंग्रेजी नाम इंडिया को बदलकर भारत करने वाली याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 03 Jun 2020 09:28 AM (IST)Updated: Wed, 03 Jun 2020 12:57 PM (IST)
संविधान में देश का नाम 'इंडिया' की जगह हो 'भारत', याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

जेएनएन, माला दीक्षित। देश के अंग्रेजी नाम इंडिया को भारत में बदलने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को विचार करने से इनकार कर दिया।  कोर्ट ने कहा, 'संविधान में पहले ही 'इंडिया' को 'भारत' कहा गया है। हालांकि याचिकाकर्ता के अनुरोध पर कोर्ट ने कहा सरकार याचिका पर ज्ञापन की तरह विचार करेगी।' इस याचिका में संविधान में देश का नाम 'इंडिया' को 'भारत' करने की मांग है और कोर्ट से इस बाबत केंद्र को निर्देश देने का आग्रह किया गया है। बता दें कि मंगलवार को इस मामले की कोर्ट में सुनवाई की जानी थी जो चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अनुपस्थिति के कारण नहीं हो सकी।

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'इंडिया' नाम गुलामी का प्रतीक

यह याचिका नमह (Namah) नामक दिल्ली के किसान की ओर से कोर्ट में डाली गई है और संविधान के आर्टिकल-1 में बदलाव की मांग की गई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच करेगी। याचिका दायर करने वाले नमह का कहना है कि 'इंडिया' को हटाकर 'भारत' नाम किया जाना चाहिए क्योंकि इंडिया नाम अंग्रेजों की गुलामी का प्रतीक है। देश का नाम अंग्रेजी में भी भारत करने से लोगों में राष्ट्रीय भावना बढ़ेगी और देश को अलग पहचान मिलेगी। याचिका दायर करने वाले नमह ने कहा कि प्राचीन काल में देश को भारत के नाम से जाना जाता था। आजादी के बाद अंग्रेजी में देश का नाम 'इंडिया' कर दिया गया इसलिए देश के असली नाम 'भारत' को ही मान्यता दी जानी चाहिए।

वर्ष 2016 में शीर्ष कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी थी। तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर ने कहा था कि प्रत्येक भारतीय को देश का  नाम अपने अनुसार, लेने का अधिकार है चाहे तो वे 'इंडिया'  बोले या  'भारत'  बोले। इसके लिए फैसला लेने का सुप्रीम कोर्ट को कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा था, 'यदि कोई भारत कहना चाहे तो भारत कहे और यदि इंडिया कहना चाहे तो देश का नाम इंडिया कहे। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।'

1948 में भी उठा था मुद्दा 

आजादी के साल भर बाद वर्ष 1948 संविधान सभा में भी 'इंडिया' नाम का विरोध हुआ था। याचिकाकर्ता नमह के अनुसार, अंग्रेज गुलामों को इंडियन कहते थे। उन्होंने ही देश को अंग्रेजी में इंडिया नाम दिया था। 15 नवंबर 1948 को संविधान के आर्टिकल-1 के मसौदे पर बहस करते हुए एम. अनंतशयनम अय्यंगर और सेठ गोविंद दास ने देश का नाम अंग्रेजी में इंडिया रखने का जोरदार विरोध किया था। उन्होंने इंडिया की जगह अंग्रेजी में भारत, भारतवर्ष और हिंदुस्तान नामों का सुझाव दिया था। लेकिन उस समय ध्यान नहीं दिया गया। अब इस गलती को सुधारने के लिए कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे।


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