Supreme Court: सभी के लिए शादी की न्यूनतम आयु समान करने की मांग पर विचार करेगा सुप्रीम कोर्ट
सभी के लिए शादी की न्यूनतम आयु समान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। शुक्रवार को कोर्ट ने सभी की शादी की आयु समान करने की मांग वाली दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर ली है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सभी के लिए शादी की न्यूनतम आयु समान करने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। शुक्रवार को कोर्ट ने सभी की शादी की आयु समान करने की मांग वाली दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित याचिका सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर कर ली है। भाजपा नेता और वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर सभी के लिए विवाह की न्यूनतम आयु समान करने की मांग की है, फिर चाहें वे किसी भी धर्म या समुदाय के क्यों न हों।
अश्वनी कुमार ने इस मामले में दिल्ली और राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई करने की मांग की थी। शुक्रवार को अशवनी उपाध्याय की ट्रांसफर याचिका पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ सुनवाई कर रही थी। उपाध्याय ने कहा कि दिल्ली और राजस्थान हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को भी सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर एक साथ सुनवाई की जाए ताकि एक ही मसले पर विभिन्न फैसलों से बचा जा सके। लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कहा कि राजस्थान में लंबित मामला खारिज हो चुका है जबकि उपाध्याय ने इस दलील पर सवाल उठाया।
कोर्ट ने दोनों की दलीलें सुनने के बाद दिल्ली में लंबित याचिका सुप्रीम कोर्ट स्थानांतरित कर ली और राजस्थान के मामले में मनीष सिंघवी को पता करके सूचित करने को कहा। इसके अलावा सभी के लिए शादी की न्यूनतम आयु समान करने की मांग वाली एक और लंबित याचिका पर भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया।
अश्वनी उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि अभी विभिन्न कानूनों और धर्मों में विवाह की अलग अलग आयु है। उनकी मांग है कि लड़कियों और लड़कों सभी के लिए चाहें वे किसी भी धर्म को मानने वाले क्यों न हों, शादी की न्यूनतम आयु समान की जाए। हालांकि केंद्र सरकार भी संसद में एक विधेयक लेकर आयी थी जिसमें लड़कियों की विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ा कर लड़कों के समान 21 वर्ष करने का प्रस्ताव है। यह प्रस्तावित कानून भी सभी धर्मों पर समान पूर से लागू करने की बात कहता है हालांकि अभी यह विधेयक संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है।
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