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    कोरोना मरीजों के समुचित ईलाज और शवों के अनुचित प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Fri, 12 Jun 2020 01:04 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना मरीजों के समुचित ईलाज और शवों के अनुचित प्रबंधन पर संज्ञान लिया है। शीर्ष अदालत इस मामले में कल सुनवाई करेगी...

    कोरोना मरीजों के समुचित ईलाज और शवों के अनुचित प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान

    नई दिल्‍ली, जेएनएन/एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कोरोना मरीजों के समुचित ईलाज और अस्पतालों में शवों के अनुचित प्रबंधन के आरोपों पर लिया स्वतः संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में कल यानी शुक्रवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ इस मामले में सुनवाई करेगी। 

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    शीर्ष अदालत के एक अधिकारी ने बताया कि मुख्‍य न्‍यायाधीश (Chief Justice of India) एसए बोबड़े (SA Bobde) ने कोरोना मरीजों और शवों के अनुचित प्रबंधन के आरोपों पर स्‍वत: संज्ञान लेते हुए मामले को न्यायमूर्ति अशोक भूषण (Justice Ashok Bhushan) की अध्‍यक्षता वाली पीठ को सुपुर्द किया। कुछ रिपोर्टों में कोरोना मरीजों की देखभाल में लापरवाही और अस्‍पताल में कोरोना मरीजों के शवों अनुचित प्रबंधन की बातें कही गई थीं जिस पर शीर्ष अदालत ने संज्ञान लिया है।

    इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को 54 दिनों के लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती देने वाली कुछ कंपनियों की याचिकाओं पर अपना फैसला देगा। जस्टिस अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की खंडपीठ इस मामले पर फैसला सुनाएगी। विगत चार जून को केंद्र सरकार ने कोर्ट में अपने हलफनामे में कहा था कि उसकी 29 मार्च की अधिसूचना असंवैधानिक नहीं है।  

    बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के मामले पर केंद्र और राज्यों को 15 दिन के भीतर उन्हें उनके घर वापस भेजने का इंतजाम करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दर्ज सभी मामले वापस लेने पर विचार किया जाएगा।  केंद्र और राज्यों ने इन प्रवासी मजदूरों की पहचान करके लिस्ट तैयार कर ली है। शीर्ष अदालत ने केंद्र और राज्यों से कहा था कि प्रवासी मजदूरों की कार्यकुशलता का डाटा तैयार किया जाए।