बुजुर्ग दंपत्ति को डिजिटल अरेस्ट कर 1.50 करोड़ की ठगी, सुप्रीम कोर्ट ने CBI और हरियाणा सरकार से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार और सीबीआई से जवाब मांगा है। एक बुजुर्ग दंपति से हुई 1.05 करोड़ रुपये की ठगी के मामले में कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि अदालती दस्तावेजों का दुरुपयोग गंभीर है और इस पर देशव्यापी कार्रवाई की जरूरत है। दंपति को डिजिटल अरेस्ट कर लूटा गया था, जिसमें फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट पर लिया संज्ञान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट भी सक्रिय हो गया है। 13 दिन की डिजिटल अरेस्टिंग में रह कर जीवन भर की कमाई के 1.05 करोड़ रुपये गवांने वाले बुजुर्ग दंपति की शिकायत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार, सीबीआइ, हरियाणा सरकार और अंबाला में एसपीसाइबरक्राइम को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाल्याबाग्ची की पीठ ने कहा कि अदालती दस्तावेजों और आदेशों का फर्जीवाड़ा, उनका नाम और मुहर का आपराधिक दुरुपयोग गंभीर चिंता का विषय है। न्यायिक आदेश का फर्जीवाड़ा, न्यायाधीशों के जाली हस्ताक्षर वाले आदेश, कानून के शासन के अलावा न्यायिक व्यवस्था में जनता के विश्वास की नींव पर प्रहार करते हैं। ऐसे कृत्य इस संस्था की गरिमा पर सीधा हमला है, इसलिए ऐसे गंभीर आपराधिक कृत्य को धोखाधड़ी और साइबरक्राइम के सामान्य अपराध की तरह नहीं लिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट पर लिया संज्ञान
कोर्ट ने कहा कि यह कोई इकलौता मामला नहीं है, मीडिया में कई बार देश के विभिन्न हिस्सों में इस तरह की घटनाएं रिपोर्ट हुई हैं। इस बारे में देशव्यापी कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। कोर्ट ने केंद्र सरकार में गृहमंत्रालय के सचिव, सीबीआइ, हरियाणा के गृह विभाग के सचिव व अंबाला में साइबरक्राइम के एसपी को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा कि इसी तरह के और अपराध हो रहे हैं इसे देखते हुए वे अटार्नी जनरल से सुनवाई में मदद करने का अनुरोध करते हैं। कोर्ट ने मामले को 27 अक्टूबर को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश देते हुए अंबाला के एसपी साइबर क्राइम को अभी तक हुई जांच की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर ठगी
दैनिक जागरण 'आनलाइन लुटेरा' के नाम से ऐसी कई घटनाओं पर लगातार खबरें कर लोगों का जागरुक कर रहा है फिर भी कुछ लोग इनकी चपेट में आ ही जाते हैं। उक्त मामले में लुटेरों ने दंपति को तीन सितंबर 2025 से लेकर 16 सितंबर 2025 तक डिजिटली अरेस्ट रखा और उनकी जीवन भर की कमाई का 1,05,50000 रुपये ट्रांसफर करने को मजबूर किया। पीडि़त दंपति का आरोप है कि सीबीआइ और ईडी अधिकारी बनकर उनसे संपर्क किया गया और फोन व वीडियो काल में उन्हें अदालती आदेश दिखाए गए। अंबाला की साइबर क्राइम ब्रांच में भारतीय न्याय संहिता की विभिन्नधाराओं में दो एफआइआर दर्ज हैं।
कोर्ट ने ये शिकायत देख कर कहा कि इससे संकेत मिलता है कि संगठित आपराधिक गतिविधि में विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया जा रहा है। घोटालेबाजों ने मनीलॉन्ड्रिंग कानून के तहत 3 सितंबर को जारी फ्रीज आदेश दिखाया। ईडी अधिकारी और कोर्ट की मुहर वाला तीन सितंबर का गिरफ्तारी आदेश दिखाया। फर्जी न्यायिक हस्ताक्षर वाला सर्विलांस आदेश दिखाया और इसके अलावा सीबीआइ और ईडी की फर्जी जांच का दावा करते हुए बाम्बे हाई कोर्ट की विभिन्न फर्जी कार्यवाहियां दिखाईं। कोर्ट ने कहा कि अदालत के फर्जी आदेश और मुहर का दुरुपयोग गंभीर मामला है
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