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    'जमानत मिली और अगले ही दिन मंत्री बन गए', सेंथिल बालाजी केस में सुप्रीम कोर्ट की फटकार

    सुप्रीम कोर्ट आज 26 सितंबर के फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जिसके तहत उसने बालाजी को इस आधार पर जमानत दी थी कि बालाजी को रिहा किए जाने के बाद मंत्री बनाए जाने के कारण गवाहों पर दबाव होगा। मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा हम जमानत देते हैं और अगले दिन मंत्री बन जाते हैं।

    By Jagran News Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Mon, 02 Dec 2024 02:00 PM (IST)
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    सेंथिल बालाजी केस में सुप्रीम कोर्ट भी हैरान (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी का जमानत आदेश वापस लेने की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले पर हैरानी जताई है कि बेल मिलने के तुरंत बाद तमिलनाडु सरकार में वी. सेंथिल बालाजी को मंत्री पद मिल गया। कोर्ट ने चिंता व्यक्त की है कि कहीं गवाह किसी दबाव में ने आ जाएं।

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    बता दें कि सेंथिल बालाजी को 26 सितंबर को मनी लॉन्ड्रिंग केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से रिहा कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट आज 26 सितंबर के फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    'गवाह दबाव में आ सकते हैं'

    याचिका में कोर्ट से वह फैसला वापस लेने की मांग की गई थी, जिसमें सेंथिल बालाजी को इस आधार पर जमानत दी गई कि अगर वह मंत्री बनाए गए तो गवाह दबाव में आ सकते हैं।

    क्या बोला कोर्ट?

    इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, 'हम जमानत देते हैं और अगले दिन आप जाते हैं और मंत्री बन जाते हैं, कोई भी इस धारणा के तहत बंध जाएगा कि अब वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री के रूप में आपकी स्थिति के कारण गवाह दबाव में होंगे। यह क्या हो रहा है?' जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच यचिका पर सुनवाई कर रही थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला लेने से इनकार कर दिया और मामले को 13 दिसंबर तक के लिए लिस्ट कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह फैसला वापस नहीं लेगा क्योंकि जिस कानून के तहत सेंथिल बालाजी को बेल दी गई, उसका और लोगों को भी फायदा मिला है।

    सेंथिल बालाजी पर कौन-कौन से आरोप?

    सेंथिल बालाजी चार बार के विधायक हैं, जिन्होंने अपना राजनीतिक करियर डीएमके के साथ शुरू किया। फिर डीएमके में लौटने से पहले एआईएडीएमके में चले गए। उन्हें 2011 से 2015 तक जे जयललिता सरकार में तमिलनाडु परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों के सिलसिले में पिछले साल जून में गिरफ्तार किया गया था।

    प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से गिरफ्तार किए जाने के आठ महीने बाद, उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। सितंबर में जमानत पर रिहा होने के कुछ दिनों बाद, एमके स्टालिन सरकार ने उन्हें मंत्री पद पर बहाल कर दिया।

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