ग्राम न्यायालय बनाने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को किया तलब, 5 दिसंबर को होगी सुनवाई
ग्राम न्यायालय बनाने में देरी पर जस्टिस नजीर व जस्टिस रामा सुब्रमण्यन की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी। शीर्ष अदालत ने 2020 में उन राज्यों को निर्देश दिया था जिन्होंने अधिसूचना जारी नहीं की थी।
नई दिल्ली, प्रेट्र। ग्राम न्यायालय बनाने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को तलब किया है। शीर्ष अदालत ने 2019 की उस याचिका पर सभी उच्च न्यायालयों से जवाब मांगा है, जिसमें केंद्र और सभी राज्यों को शीर्ष अदालत की निगरानी में 'ग्राम न्यायालय' स्थापित करने के लिए कदम उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
जस्टिस एसए नजीर और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन की पीठ ने सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल को नोटिस जारी किया और उन्हें मामले में पक्षकार बनाया। शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों को पक्षकार बनाया जाना चाहिए क्योंकि वे पर्यवेक्षी प्राधिकरण हैं।
पांच दिसंबर को होगी अगली सुनवाई
याचिकाकर्ता एनजीओ नेशनल फेडरेशन आफ सोसाइटीज फार फास्ट जस्टिस और अन्य की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ के समक्ष कहा कि 2020 में शीर्ष अदालत के निर्देश के बावजूद कई राज्यों ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। भूषण ने कहा कि ये ग्राम न्यायालय ऐसे होने चाहिए कि लोग वकील की जरूरत के बिना अपनी शिकायतें व्यक्त कर सकें। अब मामले की अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी।
शीर्ष अदालत ने 2020 में इन राज्यों को दिया था निर्देश
शीर्ष अदालत ने 2020 में उन राज्यों को निर्देश दिया था जिन्होंने 'ग्राम न्यायालय' की स्थापना के लिए अधिसूचना जारी नहीं की थी। शीर्ष कोर्ट ने कहा था कि वे चार सप्ताह के भीतर ऐसा करें। साथ ही उच्च न्यायालयों को इस मुद्दे पर राज्य सरकारों के साथ परामर्श की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया था।
क्या है ग्राम न्यायालय
2008 में संसद द्वारा पारित एक अधिनियम में नागरिकों को घर-द्वार पर न्याय प्रदान करने के लिए जमीनी स्तर पर 'ग्राम न्यायालय' की स्थापना के लिए प्रविधान किया गया था। यह सुनिश्चित करने के लिए कि सामाजिक, आर्थिक या दिव्यांगता की वजह से कोई न्याय हासिल करने के अवसरों से वंचित नहीं रह जाए। इसमें प्रविधान है कि राज्य सरकार उच्च न्यायालय के परामर्श से प्रत्येक 'ग्राम न्यायालय' के लिए एक न्यायाधिकारी नियुक्त करेगी, जो प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट के रूप में नियुक्त होने के योग्य व्यक्ति होगा।
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