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    'इतनी भी जल्दबाजी क्या थी', पेड़ों की कटाई पर तेलंगाना सरकार पर सख्त सुप्रीम कोर्ट; जमकर लगाई फटकार

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Wed, 16 Apr 2025 01:26 PM (IST)

    तेलंगाना के कांचा गोचीबोवली क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और इस मामले पर सुनवाई की गई। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा अगर आप अपने मुख्य सचिवों को बचाना चाहते हैं तो हमें बताएं कि आप उन 100 एकड़ जमीन को कैसे बहाल करेंगे? पेड़ों की कटाई के बाद हम यह देखकर हैरान हैं कि जानवर कहां शरण की तलाश कर रहे हैं।

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    हैदराबाद में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। तेलंगाना के कांचा गोचीबोवली क्षेत्र में पेड़ों की कटाई का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है और इस मामले पर सुनवाई की गई। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए तेलंगाना सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

    100 एकड़ जमीन कैसे होगी बहाल?

    सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, "अगर आप अपने मुख्य सचिवों को बचाना चाहते हैं तो हमें बताएं कि आप उन 100 एकड़ जमीन को कैसे बहाल करेंगे? इस तरह से पेड़ों की कटाई के बाद हम यह देखकर हैरान हैं कि जानवर कहां शरण की तलाश कर रहे हैं। हम नौकरशाहों और मंत्रियों की बात पर नहीं चलेंगे। शाकाहारी जानवर शेल्टर की तलाश में भाग रहे हैं, उन्हें आवार कुत्ते काट रहे हैं।"

    तेलंगाना में कांचा गाचीबोवली क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ भूमि पर पेड़ों की बड़े पैमाने पर हुई कटाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल को वहां किए जाने वाले सभी प्रकार के विकास कार्यों को रोकने का आदेश दिया था।

    'पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति जरूरी है'

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    आदेश में ये भी कहा गया था कि अगले आदेश तक वहां मौजूद पेड़ों की सुरक्षा को छोड़कर, किसी प्रकार की कोई गतिविधि राज्य सरकार द्वारा नहीं की जाएगी। जस्टिस बीआर गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि निजी वनों में भी पेड़ों को काटने के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है।

    जस्टिस गवई ने सुनवाई के दौरान पूछा, "आखिर इतनी भी जल्दबाजी क्या थी? पेड़ों को काटने के लिए एक साथ इतने सारे बुलडोजर लगा दिए। हमें स्पष्टिकरण नहीं बल्कि समाधान चाहिए। समाधान बताइए नहीं तो हमें नहीं पता कि आपके कितने अधिकारियों को अस्थायी रूप से जाना पड़ेगा। तीन दिनों की छुट्टियों में ऐसा करने की क्या जल्दी थी? हम पर्यावरण की रक्षा के लिए यहां बैठे हैं।"

    जस्टिस गवई ने राज्य सरकार को लगाई फटकार

    जस्टिस गवई ने कहा कि कोर्ट को सिर्फ पर्यावरण की चिंता है। उन्होंने कहा, "कोई भी ऐसा कानून जो इस न्यायालय के आदेशों की भाषा के विरुद्ध हो, मान्य नहीं होगा। हमने एक बार सुकमा झील में बड़े आवासीय प्रोजेक्ट के निर्माण को रोका था। आप समाधान बताइए"

    कोर्ट ने कहा कि यह राज्य सरकार पर निर्भर करता है कि वह अपने कुछ अधिकारियों को अस्थायी जेल भेजना चाहती है या नहीं। जंगली जानवरों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। शहर में हरियाली होनी चाहिए। सरकार बताए कि जंगली जानवरों को बचाने के लिए क्या कदम उठा रही है।

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