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    Supreme Court: विरोध प्रदर्शन मामले में सिद्दरमैया, सुरजेवाला समेत अन्य के विरुद्ध कार्यवाही पर रोक, अब अगली सुनवाई छह मार्च को

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Tue, 20 Feb 2024 06:47 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में कर्नाटक में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और अन्य के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी। पीठ ने मामले में कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया और सिद्दरमैया कांग्रेस महासचिव व कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला राज्य के मंत्रियों एमबी पाटिल व रामलिंगा रेड्डी के विरुद्ध कार्यवाही पर रोक लगा दी।

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    विरोध प्रदर्शन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्दरमैया, सुरजेवाला समेत अन्य के विरुद्ध कार्यवाही पर लगाई रोक

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में कर्नाटक में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और अन्य के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही पर सोमवार को रोक लगा दी।

    जस्टिस ऋषिकेश राय और जस्टिस पीके मिश्रा की पीठ ने मामले में कर्नाटक सरकार और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी किया और सिद्दरमैया, कांग्रेस महासचिव व कर्नाटक प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, राज्य के मंत्रियों एमबी पाटिल व रामलिंगा रेड्डी के विरुद्ध कार्यवाही पर रोक लगा दी।

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    जारी किया गया नोटिस

    नोटिस का जवाब देने के लिए छह हफ्ते का समय दिया गया है। शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट के उस आदेश पर भी रोक लगा दी जिसमें उन पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था और उन्हें छह मार्च को विशेष अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया था।

    सुनवाई की शुरुआत में सिद्दरमैया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि यह एक राजनीतिक विरोध था और आपराधिक मामला संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत विरोध करने के अधिकार का उल्लंघन है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि लोकतंत्र में भाषण व विरोध की स्वतंत्रता का अधिकार सर्वोपरि है और संविधान के तहत इसकी गारंटी है एवं एकमात्र प्रतिबंध तब लागू होता है जब सार्वजनिक व्यवस्था प्रभावित होती है।

    सिंघवी बोले- शांतिपूर्वक किए गए प्रदर्शन को दबाया नहीं जा सकता

    सिंघवी ने कहा कि बिना किसी आपराधिक इरादे के शांतिपूर्वक किए गए राजनीतिक विरोध को दंडात्मक प्रविधानों का उपयोग करके दबाया नहीं जा सकता।

    इस पर जस्टिस मिश्रा ने कहा, 'आपका तर्क यह है कि अगर कोई राजनेता ऐसा करता है तो मामला रद कर दिया जाना चाहिए, लेकिन अगर कोई अन्य लोगों का समूह प्रदर्शन कर रहा है, तो वह ऐसा नहीं कर सकते। अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत केवल राजनेताओं को ही अधिकार है? इसे सिर्फ इसलिए कैसे रद किया जा सकता है कि इसे राजनेताओं ने किया है। क्या आपने प्रदर्शन के लिए अनुमति मांगी थी? आप हजारों की संख्या में इकट्ठा होकर यह नहीं कह सकते कि आपको सुरक्षा प्राप्त है।''