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    दिंवगत मेजर जनरल की पत्नी और बेटी के खिलाफ रियल एस्टेट एजेंट ने रची साजिश, जमीन ब्रिक्री मामले में बना दिया 'अपराधी'

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 09:19 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना पुलिस की आलोचना करते हुए एक रिटायर मेजर जनरल की विधवा को गिरफ्तार करने के मामले में एफआईआर रद कर दी। अदालत ने शिकायतकर्ता को महिला को 10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया। विधवा महिला के पास रंगा रेड्डी जिले में एक प्लॉट था जिसे बेचने के लिए एक शिकायतकर्ता एजेंट ने साजिश रची।

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    2020 में, शिकायतकर्ता ने रिटायर्ड मेजर जनरल से उस प्लॉट की बेचने के लिए कहा था।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बिल्डर के इशारे पर एक रिटायर मेजर जनरल की 70 वर्षीय विधवा को गिरफ्तार करने और परेशान करने के लिए एक सिविल भूमि विवाद को आपराधिक मामले में बदलने के लिए तेलंगाना पुलिस की आलोचना की है। इसके साथ ही अदालत ने एफआईआर को रद कर दिया है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता को विधवा महिला 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। दिल्ली की रहने वाली विधवा महिला के पास तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के गाचीबोवली गांव में 500 वर्ग गज का एक प्लॉट था।

    शिकायतकर्ता एजेंट ने रची साजिश

    2020 में, शिकायतकर्ता ने रिटायर्ड मेजर जनरल से उस प्लॉट की बेचने के लिए कहा था। इस प्लॉट की कीमत उस वक्त 7 करोड़ रुपये आंकी गई थी। डील पूरा होने से पहले ही रिटायर्ड सैन्य अधिकारी का निधन हो गया।

    पति के निधन के बाद पत्नी और बेटी को दिल्ली से प्लॉट का प्रबंधन करने में मुश्किल हो रही थी, इसलिए उन्होंने अक्टूबर 2020 में मौखिक रूप से शिकायतकर्ता को 5.75 करोड़ रुपये में प्लॉट बेचने पर सहमति जताई थी।

    शिकायतकर्ता ने बैंकिंग माध्यमों से 4.05 करोड़ रुपये का भुगतान किया और बाद में दावा किया कि उसने 75 लाख रुपये नकद दिए थे। जब मेजर जनरल की विधवा ने शेष राशि की मांग की और सेल डीड पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, तो शिकायतकर्ता ने दिसंबर 2020 में शिकायत दर्ज कराई।

    विधवा महिला को काटनी पड़ी जेल की सजा

    पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और जनवरी 2021 में विधवा महिला को गिरफ्तार कर लिया। महिला को आठ दिन की जेल काटनी पड़ी। उन्होंने एफआईआर रद करने के लिए तेलंगाना उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन असफल रहीं।

    अधिवक्ता वंशजा शुक्ला के माध्यम से प्रस्तुत महिला की दलीलों को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने तेलंगाना पुलिस की आलोचना की और कहा, "कानून के सभी सिद्धांतों की घोर अवहेलना करते हुए, उन आरोपों के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें किसी भी तरह के अपराध का कोई सबूत नहीं था, अपराध की तो बात ही छोड़िए।"

    10 लाख का देना होगा मुआवजा

    जस्टिस मेहता ने फैसला लिखते हुए कहा, "यह तथ्य कि विधवा को इस तुच्छ एफआईआर में गिरफ्तार किया गया, स्पष्ट रूप से कंपनी के प्रभाव को दर्शाता है, जिसकी शिकायतकर्ता एक एजेंट है, पुलिस एजेंसी पर, क्योंकि न केवल शिकायतकर्ता एफआईआर दर्ज करवाने में कामयाब रही, बल्कि उसके बाद, यह भी सुनिश्चित किया गया कि उसे गिरफ्तार किया जाए और आठ दिनों तक हिरासत में रखकर अपमानित किया जाए।"

    सुप्रीम कोर्ट में अपील की सुनवाई के दौरान महिला ने शिकायतकर्ता की ओर से भुगतान किए गए 4.05 करोड़ रुपये वापस करने की पेशकश की थी। लेकिन इसे शिकायतकर्ता ने ठुकरा कर दिया और विवाद को निपटाने के लिए राशि पर ब्याज की मांग की।

    सुप्रीम कोर्ट ने माना की शिकायतकर्ता एजेंट जिस रियल एस्टेट कंपनी का पक्ष रख रहे हैं उसका तेलंगाना में काफी रसूख है। इसके साथ ही अदालत ने शिकायतकर्ता को मुआवजे के तौर पर 10 लाख रुपये की राशि देने की बात कही है।

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