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    ज्यूडिशियल अफसरों की सीनियरिटी में एकरूपता का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा मानदंड की जरूरत

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देशभर में ज्यूडिशियल अफसरों की सीनियरिटी के नियमों में एकरूपता जरूरी है, ताकि उनके करियर में धीमी प्रगति से निपटा जा सके। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका मकसद हाई कोर्ट के अधिकारों का अतिक्रमण करना नहीं है। संविधान पीठ उच्च न्यायिक सेवा में सीनियरिटी तय करने के लिए एकसमान नियम बनाने पर विचार कर रही है, ताकि युवा वकीलों को सिविल जज के पद पर आने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके।

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    सीनियरिटी नियमों में एकरूपता जरूरी

    डिजटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि देशभर में प्रवेश स्तर के न्यायिक अधिकारियों के करियर में धीमी और असमान प्रगति से निपटने के लिए उनके वरिष्ठता मानदंडों में देशव्यापी एकरूपता आवश्यक है।

    हालांकि प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका न्यायाधीश पद के लिए नामों की सिफारिश करने के हाई कोर्टों के अधिकारों का अतिक्रमण करने का कोई इरादा नहीं है। पीठ में जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस जायमाल्या बागची भी शामिल हैं।

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    सीनियरिटी नियमों में एकरूपता जरूरी

    संविधान पीठ उच्च न्यायिक सेवा (एचजेएस) संवर्ग में वरिष्ठता निर्धारित करने के लिए एकसमान एवं देशव्यापी मानदंड तैयार करने पर विचार कर रही है। उसने इस स्थिति पर संज्ञान लिया कि अधिकांश राज्यों में सिविल जज (सीजे) के रूप में भर्ती किए गए न्यायिक अधिकारी अक्सर प्रधान जिला न्यायाधीश (पीडीजे) के स्तर तक भी नहीं पहुंच पाते, हाई कोर्ट के जज पद तक पहुंचना तो दूर की बात है। परिणामस्वरूप कई प्रतिभाशाली युवा वकील सिविल जज स्तर की सेवा में शामिल होने के प्रति हतोत्साहित हो रहे हैं।

    हाई कोर्ट के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं

    दूसरे दिन की सुनवाई की शुरुआत में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने एकसमान वरिष्ठता मानदंड लागू करने का विरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला हाई कोर्टों के विवेक पर छोड़ दिया जाना चाहिए, जिन्हें अधीनस्थ न्यायपालिका के प्रशासन के प्रबंधन का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ''हाई कोर्टों में कुछ तो एकरूपता होनी चाहिए। हम नामों की सिफारिश करने के हाई कोर्टों के विवेकाधिकार नहीं छीनेंगे। लेकिन हर हाई कोर्ट के लिए अलग-अलग नीतियां क्यों होनी चाहिए?''

    युवा वकीलों को प्रोत्साहन मिलेगा

    जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि पीठ के निर्देश, यदि कोई होंगे, तो आपसी वरिष्ठता के विवादों का समाधान नहीं करेंगे, बल्कि देशभर में निष्पक्षता और एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए सामान्य सिद्धांत निर्धारित करेंगे। यह एक व्यापक मार्गदर्शक ढांचा होगा।'' प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह प्रक्रिया स्थिति को सुधारने के लिए ''परीक्षण और त्रुटि'' पद्धति के तहत की जा रही है। मामले की सुनवाई अभी जारी हेगी।