सुप्रीम कोर्ट ने मांगा मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट पर ड्राफ्ट रोडमैप, तीन सप्ताह में जवाब देने का दिया निर्देश
रिपोर्ट में कुल चार प्रकार की श्रेणियां बताई थीं। जिनमें ऐसे राज्य जहां सेल एग्रीमेंट नोटीफाइ नहीं है। दूसरे जहां नियमों में अंतर है या उन्हें कमजोर किया गया है। कई जगह स्थानीय कानूनों के आधार पर नियमों को मोड़ा गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट लागू करने के मामले में सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी और मामले में न्यायमित्र वकील देवाशीष भरूखा से अनुरोध किया कि वे ड्राफ्ट रोडमैप तैयार कर कोर्ट में पेश करें ताकि कोर्ट मामले में उचित आदेश जारी कर सके।
ये निर्देश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने वकील अश्वनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान जारी किये। याचिका में बिल्डरों की फ्लैट खरीदारों के साथ एग्रीमेंट में की जाने वाली मनमानी का मुद्दा उठाते हुए पूरे देश में एक समान मॉडल बिल्डर बायर एग्रीमेंट लागू करने की मांग की गई है।
न्यायमित्र देवाशीष भरूखा ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस बारे में सभी राज्यों की सूचनाओं और वहां लागू नियम कानूनों को देखते हुए एक रिपोर्ट पेश की। उन्होंने कोर्ट को बताया कि राज्यों की ओर से दी गई सूचनाओं के आधार पर केंद्र सरकार की मदद से यह समग्र रिपोर्ट तैयार की गई है।
रिपोर्ट में कुल चार प्रकार की श्रेणियां बताई थीं। जिनमें ऐसे राज्य जहां सेल एग्रीमेंट नोटीफाइ नहीं है। दूसरे जहां नियमों में अंतर है या उन्हें कमजोर किया गया है। कई जगह स्थानीय कानूनों के आधार पर नियमों को मोड़ा गया है। कुछ राज्य ऐसे हैं जहां नियमों में बदलाव है लेकिन उन्होंने उसका कारण नहीं बताया है कुछ जगह बदलाव हैं और कारण भी बताया है।
कोर्ट ने न्यायमित्र द्वारा राज्यवार विश्लेषण की पेश की गई रिपोर्ट देखकर कहा कि रिपोर्ट समग्र है। केंद्र सरकार की ओर से पेश एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से कहा कि मंत्रालय ने रिपोर्ट तैयार करने में न्यायमित्र को मदद की है अब कोर्ट को राज्यों को निर्देश देना चाहिए।
इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने भाटी से कहा कि केंद्र सरकार क्यों न न्यायमित्र के साथ मिल कर इस बारे में कोर्ट में एक ड्राफ्ट रोडमैप पेश करे जिसके आधार पर कोर्ट आगे निर्देश जारी करे। पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया कि वे तीन सप्ताह में न्यायमित्र की रिपोर्ट का जवाब दाखिल करें।
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