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    'महिलाएं सबसे बड़ी अल्पसंख्यक...', Women's Reservation Law पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

    Updated: Mon, 10 Nov 2025 06:40 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला आरक्षण पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेस नेता जया ठाकुर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने महिलाओं को सबसे बड़ा अल्पसंख्यक बताया। याचिका में परिसीमन से पहले आरक्षण लागू करने की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि कानून का प्रवर्तन कार्यपालिका पर निर्भर है।

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    याचिका में महिला आरक्षण अधिनियम 2024 को लागू करने की मांग (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने महिला आरक्षण को लेकर दाखिल एक याचिका के संदर्भ में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। ये याचिका कांग्रेस नेता जया ठाकुर की तरफ से दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने नए परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने का इंतजार किए बिना महिला आरक्षण अधिनियम 2024 को लागू करने की मांग की थी।

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    इस याचिका की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने की। जस्टिस नागरत्ना सुप्रीम कोर्ट की एकमात्र महिला न्यायाधीश हैं। उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि महिलाएं इस देश में सबसे बड़ी अल्पसंख्यक हैं।

    जस्टिस नागरत्ना की अहम टिप्पणी

    याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुई वरिष्ठ अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने कहा कि आजादी के 7 दशक बाद भी यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि याचिकाकर्ता को महिलाओं के प्रतिनिधित्व के लिए अदालत का रुख करना पड़ रहा है।

    इस पर टिप्पणी करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा, 'प्रस्तावना कहती है कि (सभी नागरिक) राजनीतिक और सामाजिक समानता के हकदार हैं। इस देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक कौन है? वह महिलाएं हैं... लगभग 48 प्रतिशत। यह महिलाओं की राजनीतिक समानता के बारे में है।'

    हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि कानून का प्रवर्तन कार्यपालिका पर निर्भर है और न्यायालय कोई परमादेश (किसी विशिष्ट कार्य या कर्तव्य को पूरा करने के लिए न्यायालय का आदेश) जारी नहीं कर सकता।