सुप्रीम कोर्ट ने दिया नए लॉ ग्रेजुएट्स को झटका, अब सीधे नहीं बन पाएंगे जज
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा है कि अभ्यर्थी विधि स्नातक होते ही न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते। । प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा नए विधि स्नातकों की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं। इसके साथ ही न्यायिक दक्षता और क्षमता सुनिश्चित करने के लिए अदालत में व्यावहारिक अनुभव जरूरी है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फैसले में कहा है कि अभ्यर्थी विधि स्नातक होते ही न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते।
न्यूनतम तीन साल वकालत करना अनिवार्य
प्रवेश स्तर के पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल वकालत करना अनिवार्य है। इस फैसले का न्यायिक सेवा के अभ्यर्थियों पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
नए विधि स्नातकों की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने भावी न्यायाधीशों के लिए अदालती अनुभव के महत्व को दोहराया। प्रधान न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा, नए विधि स्नातकों की नियुक्ति से कई कठिनाइयां आई हैं। न्यायिक दक्षता और क्षमता सुनिश्चित करने के लिए अदालत में व्यावहारिक अनुभव जरूरी है।
पीठ ने कहा कि प्रवेश स्तर के सिविल जजों के पदों के लिए न्यायिक सेवा परीक्षा में शामिल होने के वास्ते न्यूनतम तीन साल की वकालत अनिवार्य है। अदालत ने यह फैसला अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ द्वारा दायर याचिका पर सुनाया।
विस्तृत फैसले का इंतजार
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि नए विधि स्नातकों को न्यायपालिका में सीधे प्रवेश की अनुमति देने से व्यावहारिक चुनौतियां पैदा हुई हैं, जैसा कि विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्टों में परिलक्षित होता है। विस्तृत फैसले का इंतजार है।
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