मुल्लापेरियार बांध में जलस्तर 139 फीट तक रखा जाए : सुप्रीम कोर्ट
केरल सरकार ने न्यायालय को बताया था कि तमिलनाडु सरकार द्वारा मुल्लापेरियार बांध से अचानक पानी छोड़ा जाना भी बाढ़ के कारणों में शामिल है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने केरल में आई भयंकर बाढ़ के मद्देनजर मुल्लापेरियार बांध के जलाशय में जलस्तर को 31 अगस्त तक 139 फीट पर बनाए रखने का आदेश दिया है। अदालत ने केरल में आई बाढ़ से हुए विनाश को ध्यान में रखने को कहा है।
शीर्ष अदालत द्वारा तय सीमा से दो फीट नीचे
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने केंद्र की उस दलील को स्वीकार किया कि मुल्लापेरियार बांध पर गठित उपसमिति की 23 अगस्त को बैठक हुई थी। उसने तमिलनाडु सरकार से जलाशय में जलस्तर 139 फीट पर बनाए रखने को कहा है। यह जलस्तर शीर्ष अदालत द्वारा तय सीमा से दो फीट नीचे है।
पीठ ने यह स्पष्ट किया कि आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में वह स्वयं को सीमित रखेगी। केरल में आई भयंकर बाढ़ के मद्देनजर जलाशय में जलस्तर को कम करने का फैसला लिया गया है। पीठ यह कहने से पहले तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया कि जलस्तर की सीमा तय करने में शीर्ष अदालत के फैसले को प्रभावित करने की साजिश का यह हिस्सा हो सकता है।
पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए छह सितंबर की तारीख तय की है। उसने केरल, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु और कर्नाटक से इस दौरान जवाब दायर करने को कहा है।
बांध से अचानक पानी छोड़ा जाने से आई बाढ़
केरल सरकार ने गुरुवार को न्यायालय को बताया था कि तमिलनाडु सरकार द्वारा मुल्लापेरियार बांध से अचानक पानी छोड़ा जाना भी राज्य में बाढ़ के कारणों में शामिल है। केरल ने कहा कि राज्य की 3.48 करोड़ जनसंख्या का छठा हिस्सा, करीब 54 लाख लोग इस बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
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