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    Supreme Court: 'सजा पूरी होने के बाद दोषी को जेल में रखना अवैध', सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Tue, 22 Apr 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई कि 2002 के नितीश कटारा हत्याकांड में बिना किसी छूट के 20 साल जेल की सजा काट चुके दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को सजा पूरी करने के बाद बी रिहा नहीं किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा हम एक व्यक्ति की स्वतंत्रता पर सुनवाई कर रहे हैं।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सजा पूरी होने के बाद दोषी को जेल में रखना अवैध

     पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के इस फैसले पर आपत्ति जताई कि 2002 के नितीश कटारा हत्याकांड में बिना किसी छूट के 20 साल जेल की सजा काट चुके दोषी सुखदेव यादव उर्फ पहलवान को सजा पूरी करने के बाद बी रिहा नहीं किया जाना चाहिए।

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    व्यक्ति की स्वतंत्रता पर कही ये बात

    जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अर्चना पाठक दवे की दलील पर हैरानी जताई कि पहलवान को स्वत: ही रिहा नहीं किया जा सकता। पीठ ने कहा, हम एक व्यक्ति की स्वतंत्रता पर सुनवाई कर रहे हैं।

    एक-एक दिन का कारावास अवैध होगा

    उसकी सजा को हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा। उसे निर्धारित वक्त की सजा सुना दी गई। अगर हमें पता चलता है कि उसे दी गई सजा से ज्यादा वक्त तक जेल में रखा गया, तो वह कारावास अवैध होगा। एक-एक दिन का कारावास अवैध होगा।

    यादव की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ मृदुल ने दलील दी कि उनके मुव्वकिल की सजा नौ मार्च 2025 को पूरी हो गई है। इस तारीख के बाद यादव को जेल में रखने की कोई भी वैधानिक दलील मायने नहीं रखती और दिल्ली सरकार इस सजा का अर्थ निकालने में गलत है।

    आजीवन कारावास को लेकर कही ये बात

    इस पर दव ने कहा कि आजीवन कारावास का मतलब पूरी जिंदगी जेल में बिताना होता है और 20 साल बाद स्वत: जेल से रिहाई नहीं हो सकती। याचिकाकर्ता ने भी अपनी रिहाई के लिए अपील नहीं की थी, बल्कि फर्लो मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

    अगली सुनवाई सात मई को होगी

    पीठ ने कहा पिछली दो तारीखों और अब तक हुई सुनवाई व दोनों पक्षों की दलीलों को लेकर कहा कि रिहाई के मुद्दे पर विचार होगा। यादव अपनी याचिका में तीन दिन के भीतर संशोधन कर दाखिल करे। अगली सुनवाई सात मई को होगी।