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    'अवैध रूप से रह रहे विदेशियों के लिए स्वर्ग हो गया है भारत', सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में की ऐसी टिप्पणी?

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 11:16 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा कि अवैध रूप से भारत में रहने वाले विदेशियों के लिए यह देश स्वर्ग बन गया है। कोर्ट ने गोवा में रूसी नागरिक के साथ रह रहे इजरायली व्यक्ति को फटकार लगाई और उसकी नाबालिग बेटियों को रूस भेजने से रोकने की याचिका खारिज कर दी।

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    सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अवैध विदेशियों के लिए भारत स्वर्ग। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के शीर्ष न्यायालय ने सोमवार को एक अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो विदेशी अवैध भारत में रह रहे हैं, उनके लिए ये देश स्वर्ग सा हो गया है।

    दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने गोवा में एक रूसी नागरिक के साथ रह रहे एक इजरायली व्यक्ति को कड़ी फटकार लगाई। इसके साथ ही इजरायली व्यक्ति की दो नाबालिग बेटियों को रूस वापस भेजने से रोकने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।

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    जानिए क्या है पूरा मामला

    बता दें कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने ड्रोर श्लोमी गोल्डस्टीन की ओर से एक याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। इस याचिका में ड्रोर श्लोमी गोल्डस्टीन ने दोनों नाबालिग लड़कियों के पिता होने का दावा किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को प्रचार हित और तुच्छ मुकदमा बता दिया।

    एचटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिका की सुनवाई के दौरान दो न्यायाधीशों की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि यह देश हर तरह के लोगों के लिए स्वर्ग बन चुका है। कोई भी यहां आता है और हमेशा के लिए यहीं रह जाता है। वहीं, पीठ ने सवाल किया कि इजरायली नागरिक भारत में अपना गुजारा कैसे कर रहा है।

    पीठ ने पूछे ये सवाल

    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि इजरायली होने के बावजूद आप भारत में क्यों हैं। आपकी जीविका कैसे चल रह है और उसका स्रोत क्या है? कोर्ट स्पष्ट कहा कि हम आपकी गतिविधियों पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं, लेकिन आप गोवा में गुजारा कैसे कर रहे हैं।

    याचिका पर सुनवाई से कोर्ट का इनकार

    बता दें कि कोर्ट ने इस याचिका को लंबित रखने से इनकार कर दिया। शुरुआती आदेश में कोर्ट ने कहा कि हमें यह विशेष अनुमति याचिका पूरी तरह से बेतुकी लगती है। ज़ाहिर है, याचिकाकर्ता ने केवल प्रचार के लिए उच्च न्यायालय और इस अदालत का रुख किया था। इसके साथ ही शीर्ष न्यायालय ने गोल्डस्टीन को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और इस याचिका को खारिज कर दिया।

    'आप ही लड़कियों के पिता हैं इसका कोई प्रमाण है?'

    याचिका पर सुनवाई के दौरान पीठ ने गोल्डस्टीन की खिंचाई भी की। इस दौरान पीठ ने पूछा कि क्या आपको पास कोई सबूत है या प्रमाण है, जिससे पता चलता है कि दोनों नाबालिग लड़कियां आपकी हैं। अगर आप उन दोनों बच्चों के पिता और जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे, उस वक्त आप क्या कर रहे थे। क्या आपको यहां से निर्वासित करने का आदेश नहीं दिया जाना चाहिए।

    जुलाई का है पूरा प्रकरण

    गौरतलब है कि ये पूरा मामला जुलाई का है। इस दौरान 40 साल की एक रूसी महिला नीना कुटीना और उनकी छह और पांच साल की दो छोटी बेटियों को स्थानीय पुलिस ने कर्नाटक के एक जंगल की गुफा से बचाया था। तीनों कथित तौर पर बिना किसी वैध यात्रा या निवास के कई हफ्तों से वहां पर रही थीं। बाद पुलिस ने तीनों को एक विदेशी हिरासत केंद्र भेज दिया गया और कर्नाटक उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को उनके प्रत्यावर्तन के लिए यात्रा दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया।

    HC ने भी खारिज की थी याचिका

    गौरतलब है कि खुद को गोवा में रहने वाला इजरायली व्यवसायी बताने वाले गोल्डस्टीन ने इससे पहले हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने प्रत्यावर्तन रोकने और दोनों लड़कियों की हिरासत की मांग की थी। इस दौरान उन्होंने दावा किया था कि वह उनकी देखभाल कर रहा था। हालांकि, बाद में हाईकोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया था।

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