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    उम्मीदवारों को अपनी हर चल संपत्ति उजागर करने की जरूरत नहीं, चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

    Updated: Tue, 09 Apr 2024 10:01 PM (IST)

    Lok Sabha Candidates Assets लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को लेकर मंगलवार को अहम फैसला दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को उनके या आश्रितों के स्वामित्व वाली हर एक चल संपत्ति का राजफाश करने की जरूरत नहीं है जब तक कि वे काफी कीमती या विलासितापूर्ण जीवनशैली को न दर्शाती हों।

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    उम्मीदवारों को अपनी हर चल संपत्ति उजागर करने की जरूरत नहीं- सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

    आईएएनएस, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव की गहमागहमी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने उम्मीदवारों को लेकर मंगलवार को अहम फैसला दिया। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों को उनके या आश्रितों के स्वामित्व वाली हर एक चल संपत्ति का राजफाश करने की जरूरत नहीं है जब तक कि वे काफी कीमती या विलासितापूर्ण जीवनशैली को न दर्शाती हों।

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    एक मतदाता को किसी उम्मीदवार की प्रत्येक संपत्ति के बारे में जानने का पूर्ण अधिकार नहीं है। साथ ही स्पष्ट किया कि इस फैसले को नजीर के तौर पर न लिया जाए क्यों कि यह इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर आधारित है। इस टिप्पणी के साथ जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट की ईटानगर पीठ के 17 जुलाई, 2023 के फैसले को रद्द करते हुए 2019 में अरुणाचल प्रदेश की तेजू विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक चुने गए कारिखो क्री के निर्वाचन को बरकरार रखा।

    कोर्ट ने कारिखो के निर्वाचन को अमान्य घोषित किया था

    हाई कोर्ट ने कारिखो के निर्वाचन को अमान्य घोषित कर दिया था। इस फैसले के खिलाफ कारिखो सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। हाई कोर्ट ने तेजू सीट से कारिखों के प्रतिद्वंद्वी रहे और तत्कालीन कांग्रेस उम्मीदवार एन. तयांग द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला दिया था। याचिका में कहा गया था कि कारिखो ने अपने नामांकन पत्र में यह नहीं दर्शाया था कि ईटानगर के सेक्टर ई में स्थित एमएलए काटेज नंबर-1 नामक सरकारी आवास उनके पास है।

    कोर्ट ने कारिखो की विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी

    कारिखो ने सरकारी आवास के किराये, बिजली शुल्क, जल शुल्क और टेलीफोन शुल्क के लिए संबंधित विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र लेकर भी जमा नहीं किया था। साथ ही कहा गया कि नामांकन दाखिल करते समय पत्नी और बेटे के स्वामित्व वाले तीन वाहनों का जिक्र भी उन्होंने नामांकन पत्र में नहीं किया है। इसलिए उनका चुनाव रद्द किया जाए। इस पर हाई कोर्ट ने कारिखो का नामांकन पत्र धारा 36 (2) (बी) के तहत खारिज करते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी थी।

    SC ने शिकायतकर्ता की दलील को खारिज किया

    फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायक द्वारा नामांकन दाखिल करने से पहले ऐसे वाहनों को या तो गिफ्ट दे दिया गया या बेच दिया गया, इसलिए इन वाहनों को विधायक की पत्नी-बेटे के स्वामित्व वाला नहीं माना जा सकता। शीर्ष कोर्ट ने शिकायतकर्ता की इस दलील को भी खारिज कर दिया कि मतदाताओं को अपने प्रत्याशियों के बारे में जानने का पूर्ण अधिकार है।

    प्रत्याशी हर एक चीज घोषणा करे, यह आवश्यक नहीं

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रत्याशी चल संपत्ति की हर एक चीज जैसे कपड़े, जूते, क्रॉकरी, स्टेशनरी, फर्नीचर की घोषणा करे, यह आवश्यक नहीं है। कोई चीज मूल्यवान है तो उसके बारे में बताने की जरूरत है। उदाहरण के लिए यदि प्रत्याशी या उसके परिजन के पास लाखों रुपये की कीमती घडि़यां हैं तो उनकी जानकारी देनी होगी क्योंकि वे उच्च मूल्य की संपत्ति हैं और भव्य जीवन शैली को दर्शाती हैं।

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