Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा- घर के भीतर कही बात पर नहीं लगता एससी-एसटी एक्ट, मामले में गवाह आवश्यक

    By Shashank PandeyEdited By:
    Updated: Fri, 06 Nov 2020 07:34 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा मुकदमा दर्ज होने के लिए मामले में गवाह आवश्यक। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि तथ्यों के दृष्टिगत अनुसूचित जाति-जनजाति ([उत्पीड़न रोकथाम)] अधिनियम के सेक्शन 3([1)]([आर)] के अनुसार अपराध नहीं हुआ है।

    घर के भीतर कही कोई अपमानजनक बात वह अपराध नहीं- सुप्रीम कोर्ट

    नई दिल्ली, एजेंसी। घर में किसी अपमानजनक बातों पर एससी-एसटी एक्ट नहीं लग सकता। किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को लेकर घर के भीतर कही कोई अपमानजनक बात, जिसका कोई गवाह न हो, वह अपराध नहीं हो सकती। यह बात सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक टिप्पणा में कही है। इसी के साथ शीर्ष न्यायालय ने याचिकाकर्ता पर लगा अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम का मुकदमा रद करने का आदेश दिया है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उत्तराखंड के इस मामले में एक औरत ने हितेश वर्मा पर घर के भीतर अपमानजनक बातें कहने का आरोप लगाया था। इसी के आधार पर पुलिस ने आदमी के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियम के तहत सभी तरह के अपमान और धमकियां नहीं आतीं। अधिनियम के तहत केवल वे मामले आते हैं जिनके चलते पीड़ित व्यक्ति समाज के सामने अपमान, उत्पी़ड़न या संत्रास झेलता है। अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए अन्य लोगों की मौजूदगी में अपराध होना आवश्यक है।

    सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने कहा कि तथ्यों के दृष्टिगत अनुसूचित जाति-जनजाति ([उत्पीड़न रोकथाम)] अधिनियम के सेक्शन 3([1)]([आर)] के अनुसार अपराध नहीं हुआ है। इसलिए मामले में दाखिल आरोप पत्र को रद किया जाता है। आरोपित व्यक्ति के खिलाफ अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर मुकदमा चलाया जा सकता है।

    कोर्ट ने 2008 में इस सिलसिले में दिए गए एक अन्य फैसले का हवाला देते हुए कहा कि उसमें भी सार्वजनिक स्थान और ऐसा स्थान जहां पर लोगों की मौजूदगी हो, को परिभाषिषत किया गया है। अगर कोई अपमानजनक कृत्य खुले में होता है और उसे अन्य लोग देख-सुन लेते हैं, तो वह एससी-एसटी एक्ट के तहत अपराध की श्रेणी में आ जाएगा।

    टिप्पणी- किसी भी अनुसूचित जाति या जनजाति के व्यक्ति को लेकर घर के भीतर कही कोई अपमानजनक बात, जिसका कोई गवाह न हो, वह अपराध नहीं हो सकती।