बिजली दरों के संशोधन के मामले में सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, डिस्काम के शुल्क में बदलाव नहीं कर सकता नियामक
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बिजली नियामक डीईआरसी विवेकपूर्ण जांच और सुधार करने की आड़ में विद्युत वितरण कंपनियों के लिए पहले से तय बिजली दरों को संशोधित या फिर से निर्धारित नहीं कर सकता है। यह उपभोक्ताओं से वसूली की दरों में संशोधन के समान होगा।

नई दिल्ली, प्रेट्र: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि बिजली नियामक डीईआरसी 'विवेकपूर्ण जांच और सुधार करने' की आड़ में विद्युत वितरण कंपनियों के लिए पहले से तय बिजली दरों को संशोधित या फिर से निर्धारित नहीं कर सकता है। यह उपभोक्ताओं से वसूली की दरों में संशोधन के समान होगा। विवेकपूर्ण जांच से आशय किए गए या प्रस्तावित पूंजी व्यय के औचित्य की पड़ताल से है।
जस्टिस एसए नजीर और कृष्ण मुरारी की पीठ ने निजी विद्युत वितरण कंपनी बीएसईएस यमुना पावर लिमिटेड की अपील को विचारार्थ स्वीकार कर लिया। इसमें 2014 के एक फैसले में विद्युत अपीलीय न्यायाधिकरण (एपीटीईएल) के कुछ निष्कर्षों को चुनौती दी गई थी। इस फैसले में दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) द्वारा बिजली के टैरिफ में बदलाव कर कम करने के फैसले को बरकरार रखा गया था।
डीईआरसी के आदेश को रद करते हुए पीठ ने कहा कि विद्युत नियामक एक अप्रैल, 2008 से 31 मार्च, 2010 के लिए टैरिफ आदेश को 'सुधारने' की आड़ में संशोधन नहीं कर सकता। संबंधित वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद इसे नए टैरिफ से नहीं बदला जा सकता। बीएसईएस यमुना पावर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में बिजली की आपूर्ति करती है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।