कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता घृणा भाषण, Supreme Court ने हरियाणा दंगों की जांच के लिए समिति गठन का रखा प्रस्ताव
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से नफरत भरे भाषण के मामलों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने को कहा। शीर्ष अदालत ने कई राज्यों में रैलियों को दौरान हुई हिंसा और उनके सामाजिक तथा आर्थिक बहिष्कार के आह्वान संबंधी कथित घोर नफरत भरे भाषणों को लेकर दाखिल की गई एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

नई दिल्ली, पीटीआई। हरियाणा में हाल में हुए सांप्रदायिक दंगों के मद्देनजर दर्ज हुए मामलों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य के डीजीपी द्वारा एक समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा और कहा कि विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव एवं सौहार्द होना चाहिए क्योंकि कोई भी घृणा भाषणों को स्वीकार नहीं कर सकता।
घृणा फैलाने वाले भाषणों के संबंध में हुई सुनवाई
शीर्ष अदालत हरियाणा समेत विभिन्न राज्यों में आयोजित रैलियों में खास समुदाय के सदस्यों की हत्या करने और उनका सामाजिक व आर्थिक बहिष्कार करने के आह्वान वाले कथित जबर्दस्त घृणा फैलाने वाले भाषणों से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हरियाणा में हाल में हुए सांप्रदायिक संघर्ष में छह लोगों की जान चली गई थी।
समिति के गठन के बारे में करें सूचित
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सालिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वे निर्देश प्राप्त करें और 18 अगस्त तक प्रस्तावित समिति के गठन के बारे में सूचित करें। पीठ ने कहा
समुदायों के बीच सद्भाव और सौहार्द होना चाहिए और सभी समुदाय जिम्मेदार हैं। मुझे नहीं पता कि इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है या नहीं, लेकिन घृणा भाषण की समस्या ठीक नहीं है और इसे कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता।
पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरतः SC
शीर्ष अदालत ने कहा
हम डीजीपी को उनके द्वारा नामित तीन-चार अधिकारियों की एक समिति गठित करने के लिए कह सकते हैं जो थानाध्यक्षों से सभी सामग्री प्राप्त करेंगे व उसका अवलोकन करेंगे और अगर सामग्री प्रमाणिक होगी तो वे निर्णय लेंगे एवं संबंधित पुलिस अधिकारी को उचित निर्देश जारी करेंगे। थानाध्यक्षों के स्तर पर पुलिस को संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
याचिकाकर्ता को दिया निर्देश
शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता पत्रकार शाहीन अब्दुल्लाह को भी निर्देश दिया कि वह वीडियो समेत सभी सामग्री एकत्रित करें और उसके 21 अक्टूबर, 2022 के फैसले के आधार पर नियुक्त नोडल अधिकारियों को सौंप दें। सुनवाई के दौरान नटराज ने कहा कि केंद्र सरकार भी घृणा भाषणों के विरुद्ध है जिन पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। उन्होंने स्वीकार किया कि घृणा भाषणों से निपटने का तंत्र कुछ स्थानों पर काम नहीं कर रहा है।
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