महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर सुप्रीम कोर्ट चिंतित, कहा- वूमन सेफ्टी पर लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और दुष्कर्म के खतरे को कम करने के लिए लोगों की सोच बदलनी होगी क्योंकि ये खतरा शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में सब जगह है। इसके लिए सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा में बदलाव के साथ ही शिक्षा प्रणाली से दूर और बाहर हो चुके लोगों को सुधारने के लिए केंद्र सरकार को उचित उपाय करने को कहा है।

एएनआइ, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा और दुष्कर्म के खतरे को कम करने के लिए लोगों की सोच बदलनी होगी क्योंकि ये खतरा शहरों व ग्रामीण क्षेत्रों में सब जगह है। इसके लिए सर्वोच्च अदालत ने शिक्षा में बदलाव के साथ ही शिक्षा प्रणाली से दूर और बाहर हो चुके लोगों को सुधारने के लिए केंद्र सरकार को उचित उपाय करने को कहा है।
महिलाओं को अकेला छोड़ दीजिए- सुप्रीम कोर्ट
सर्वोच्च अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार को एक विस्तृत हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ते का समय देकर सुनवाई छह मई तक के लिए स्थगित कर दी है।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि महिलाओं को अकेला छोड़ दीजिए। उन्हें अपने चारों तरफ हेलीकाप्टर नहीं चाहिए। उन्हें निगरानी व रोकटोक की जरूरत नहीं। उन्हें पनपने दीजिए, इस देश की महिलाएं यही चाहती हैं।
अभी भी गांवों में शौचालयों की सुविधा नहीं
खंडपीठ ने कहा कि उन्हें वास्तवित जीवन में ऐसे मामले देखे हैं कि महिलाओं में खुले में शौच जाने के दौरान मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। अभी भी गांवों में शौचालयों की सुविधा नहीं है। अधिवक्ता आदाब हर्षद पोंडा की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान इस दिशा में शिक्षा और जनजागरूकता के मुद्दे को उठाया है।
महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म समेत विभिन्न अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं
याचिका में बताया गया कि महिलाओं के खिलाफ दुष्कर्म समेत विभिन्न अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं। इस पर केंद्र सरकार ने सर्वोच्च अदालत को बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा पाठ्यक्रमों में नैतिक शिक्षा की व्यवस्था है। याचिका में विज्ञापन, सेमिनारों, पर्चों के जरिये केंद्र को स्थानीय प्रशासन को दिशा-निर्देश देने को कहा गया है। शिक्षा के दायरे से बाहर जा चुके लोगों को भी सुधारने की सलाह दी गई है।
केरल की मांग, राज्यपाल के विरुद्ध याचिका जस्टिस पार्डीवाला की पीठ को ट्रांसफर हो
केरल सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया कि राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को स्वीकृति देने में विलंब पर राज्यपाल के विरुद्ध दायर उसकी याचिका जस्टिस जेबी पार्डीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ को स्थानांतरित कर दी जाए। जस्टिस पार्डीवाला की पीठ ने ही तमिलनाडु सरकार की याचिका पर फैसला सुनाया है।
अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने दलीलों का विरोध किया
केरल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता केके वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ से कहा, ''लगभग दो वर्ष हो गए हैं। विधेयक लंबित हैं। जस्टिस पार्डीवाला ने इसी तरह के मुद्दों पर सुनवाई की है और इसे उसी पीठ को हस्तांतरित किया जा सकता है।''
अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने दलीलों का विरोध किया और कहा कि मुद्दे अलग-अलग हैं। इसके अलावा इस तरह का कोई भी निर्णय लेने से पहले जस्टिस पार्डीवाला का फैसले पढ़ा जाना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी निर्णय अगली सुनवाई पर होगा और सुनवाई 13 मई से शुरू होने वाले सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
आरिफ मोहम्मद खान वर्तमान में बिहार के राज्यपाल
वर्ष 2023 में शीर्ष अदालत ने केरल के तत्कालीन राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा राज्य विधानमंडल से पारित विधेयकों को दो वर्ष तक रोके रखने पर नाराजगी व्यक्त की थी। खान वर्तमान में बिहार के राज्यपाल हैं।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।