सैन्य सेवा के कारण विकलांग होने पर ही सेना के जवान विकलांगता पेंशन के हकदार होंगे: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सैन्य सेवा के कारण विकलांग होने पर ही सेना के जवान विकलांगता पेंशन के हकदर होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब तक विकलांगता 20 प्रतिशत से अधिक न हो सैन्य कर्मी विकलांगता पेंशन के हकदर नहीं होंगे।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेना के जवान केवल तभी विकलांग पेंशन के हकदार होंगे, जब सैन्य सेवा के कारण विकलांगता हुई हो या इस तरह की सेवा से और बढ़ गई हो और ऐसी स्थिति 20 प्रतिशत से अधिक हो। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की पीठ सशस्त्र बल न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती देने वाली केंद्र की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सेना के जवानों को विकलांगता पेंशन दी गई थी।
पीठ ने सैन्य कर्मी के दावे को खारिज किया
सर्वोच्च अदालत ने अतिरिक्त सालिसिटर जनरल के एम नटराज की इस दलील से सहमति जताई कि सशस्त्र बलों के एक सदस्य को लगी चोटों और सैन्य सेवा के बीच उचित संबंध होना चाहिए। पीठ ने सैन्य कर्मी के छुट्टी स्टेशन पर पहुंचने के दो दिन बाद घायल होने के दावे को खारिज करते हुए कहा, 'जब तक विकलांगता सैन्य सेवा के कारण या बढ़ जाती है और 20 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तब तक विकलांगता पेंशन का अधिकार नहीं बनता है।'
सैन्य सेवा और चोट के बीच कोई संबंध नहीं है- कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि वर्तमान मामले में कर्मी के छुट्टी स्टेशन पर पहुंचने के दो दिन बाद वह एक सार्वजनिक सड़क पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। पीठ ने कहा, 'सैन्य सेवा और प्रतिवादी द्वारा लगी चोटों के बीच बिल्कुल कोई संबंध नहीं है। कोई कारण संबंध भी नहीं है। ट्रिब्यूनल ने इस पहलू को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है जो मामले की जड़ तक जाता है। इसलिए, प्रतिवादी विकलांगता पेंशन का हकदार नहीं है।
4 जून 1965 में सेना में हुए शामिल
इस मामले में कर्मी को 4 जून, 1965 को सेना में नामांकित किया गया था और 10 साल और 88 दिनों तक सेवा प्रदान करने के बाद उन्हें 30 अगस्त, 1975 को आरक्षित प्रतिष्ठान में स्थानांतरित कर दिया गया था। अपनी आरक्षित अवधि के दौरान, उन्होंने स्वेच्छा से 7 जनवरी 1976 को रक्षा सुरक्षा कोर में अपना नामांकन कराया और 6 नवंबर, 1999 को उन्हें वार्षिक अवकाश प्रदान किया।
28 सितंबर 2000 को सेवा से किया गया बाहर
छुट्टी के दौरान सड़क पार करते समय उनका एक्सीडेंट हो गया और वह एक स्कूटर से टकरा गए। मेडिकल बोर्ड ने प्रतिवादी की विकलांगता के प्रतिशत का 80 प्रतिशत आकलन किया और उसे निम्न चिकित्सा श्रेणी में रखा। उस आधार पर, उन्हें 28 सितंबर, 2000 से सेवा से बाहर कर दिया गया था। बाद में, उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण को एक आवेदन दिया और विकलांगता पेंशन प्रदान करने की प्रार्थना की।
विकलांगता सैन्य सेवा के कारण मानी जाएगी- ट्रिब्यूनल
ट्रिब्यूनल ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की अधिकृत छुट्टी की अवधि के दौरान चोट लगती है और उसका कार्य सैन्य सेवा के साथ असंगत नहीं था, तो उसकी विकलांगता सैन्य सेवा के कारण मानी जाती है।
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