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    निठारी हत्याकांड: नाले से मिले थे आठ बच्चों के कंकाल, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई; अब तक क्या-क्या हुआ?

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 07:43 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के दोषी सुरेंद्र कोली की सुधारात्मक याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा जिसमें उसने अपनी मौत की सजा को चुनौती दी है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार किए जाने योग्य बताया। कोली को अन्य मामलों में बरी कर दिया गया है जिससे एक असामान्य स्थिति पैदा हो गई है। यदि याचिका स्वीकार होती है तो वह स्वतंत्र हो सकता है।

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    सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र कोली की याचिका पर सुरक्षित रखा फैसला। फ़ाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुरेंद्र कोली द्वारा दायर सुधारात्मक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस याचिका में निठारी हत्याकांड के एक मामले में उसे दोषी ठहराए जाने और मौत की सजा को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि उसकी याचिका ''स्वीकार किए जाने योग्य है''।

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    उल्लेखनीय है कि 29 दिसंबर, 2006 को नोएडा के निठारी में व्यवसायी मोनिंदर सिंह पंढेर के घर के पीछे एक नाले से आठ बच्चों के कंकाल मिलने के बाद इस हत्याकांड का पर्दाफाश हुआ था।

    प्रधान न्यायाधीश गवई ने आदेश सुरक्षित रखा

    मंगलवार को प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने खुली अदालत में कोली की याचिका पर सुनवाई की। यह देखते हुए कि कोली को अन्य सभी संबंधित मामलों में बरी किए जाने के बाद एक ''असामान्य स्थिति'' उत्पन्न हो गई थी, अदालत ने टिप्पणी की कि याचिका ''स्वीकार किए जाने योग्य है।'' प्रधान न्यायाधीश गवई ने आदेश सुरक्षित रखते हुए कहा, ''इस मामले पर एक मिनट में सुनवाई की जानी चाहिए।'' यदि कोली की सुधारात्मक याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो वह स्वतंत्र हो जाएगा क्योंकि वह पहले ही निठारी के अन्य मामलों में बरी हो चुका है।

    निठारी हत्याकांड में अब तक क्या-क्या हुआ?

    पीठ ने कहा कि इस मामले में दोषसिद्धि मुख्यत: एक बयान और चाकू की बरामदगी पर आधारित थी, जिससे साक्ष्यों की पर्याप्तता पर सवाल उठते हैं। कोली को नोएडा के निठारी गांव में 15 वर्षीय नाबालिग लड़की के दुष्कर्म और हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, और फरवरी 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने उसकी सजा बरकरार रखी थी। उसकी पुनर्विचार याचिका 2014 में खारिज कर दी गई थी। हालांकि, जनवरी 2015 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसकी दया याचिका पर निर्णय में अत्यधिक देरी के कारण उसकी मृत्युदंड की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया। अक्टूबर 2023 में, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निठारी के कई अन्य मामलों में कोली और सह-अभियुक्त पंढेर को बरी कर दिया, और 2017 में ट्रायल कोर्ट द्वारा सुनाई गई मृत्युदंड की सजा को पलट दिया। अदालत ने कोली को 12 मामलों में और पंढेर को दो मामलों में बरी कर दिया।

    क्या होती है सुधारात्मक याचिका?

    सुधारात्मक याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की जाने वाली एक अंतिम कानूनी याचिका है, जो तब की जाती है जब पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य सर्वोच्च न्यायालय के किसी ऐसे फैसले में हुई विसंगति को दूर करना है, जो न्याय के मौलिक सिद्धांतों के उल्लंघन या न्यायालय की प्रक्रिया में हुई किसी गलती के कारण हुआ हो।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)