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    खनन मुआवजा वसूली: सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को लगाई फटकार

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:49 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने खनन मुआवजे की वसूली में लापरवाही के लिए ओडिशा सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और मुआवजा वसूलने में तेजी लाने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को भविष्य में ऐसी लापरवाही से बचना चाहिए और नुकसान की भरपाई करनी चाहिए।

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    फाइल फोटो।

    संवाद सूत्र, बड़बिल। सुप्रीम कोर्ट ने ओडिशा सरकार को अवैध लौह और मैंगनीज अयस्क खनन मामलों में मुआवजे की वसूली में लापरवाही पर कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने राज्य सरकार से पूछा कि 2017 के आदेश के बावजूद अब तक 2700 करोड़ रुपये से अधिक की राशि की वसूली क्यों नहीं की गई। न्यायालय ने राज्य सरकार के रवैये पर असंतोष जताते हुए कहा कि हम ओडिशा राज्य द्वारा मुआवजे की वसूली के तरीके से संतुष्ट नहीं हैं।


    सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी : यह मामला कामन काज नामक गैर-सरकारी संगठन की ओर से दाखिल याचिका से जुड़ा है। संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने अदालत को बताया कि ओडिशा के क्योंझर, सुंदरगढ़ और मयूरभंज जिलों में कई पट्टाधारकों ने अवैध रूप से लौह और मैंगनीज अयस्क का खनन किया था। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में ही राज्य सरकार को आदेश दिया था कि इन खननकर्ताओं से मुआवजे की राशि वसूली जाए और 31 दिसंबर 2017 तक जमा कराई जाए।

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    अधिकारियों और पट्टाधारकों के बीच मिलीभगत :
    भूषण ने दलील दी कि कई साल बीत जाने के बाद भी वसूली नहीं होना अधिकारियों और पट्टाधारकों के बीच मिलीभगत की बू आती है। उन्होंने बताया कि 2700 करोड़ रुपये की मूल राशि अब ब्याज सहित लगभग दोगुनी हो चुकी है। यह न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। राज्य के राजस्व को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है।

    मुआवजे की वसूली के लिए ठोस योजना का आश्वासन :
    वहीं, ओडिशा सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने किसी भी प्रकार की साठगांठ से इनकार किया। उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि वे स्वयं राज्य के मुख्य सचिव और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर मुआवजे की वसूली के लिए योजना तैयार करेंगे। उन्होंने न्यायालय से चार सप्ताह का समय मांगा ताकि कार्रवाई की रूपरेखा तय की जा सके।

    खंडपीठ ने नाराजगी जताई :
    इस पर न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी. मसीह की खंडपीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इतने लंबे समय तक अदालत के आदेश का पालन न किया जाना गंभीर मामला है। न्यायालय ने महाधिवक्ता के इस कथन को रिकार्ड में दर्ज किया कि वे व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे की निगरानी करेंगे।

    सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह की मोहलत दी :
    सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आठ सप्ताह की अंतिम मोहलत देते हुए स्पष्ट कहा कि अगली सुनवाई तक वास्तविक प्रगति दिखाई जानी चाहिए। न्यायालय ने यह भी संकेत दिया कि यदि राज्य सरकार मुआवज़े की वसूली में नाकाम रही, तो अदालत सख्त कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगी।