SC: हिरासत में मौत मामले में मध्य प्रदेश सरकार, CBI को फटकार, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौत के एक मामले में फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआइ को फटकार लगाई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी भी दी। जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार हैं लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हिरासत में मौत के एक मामले में फरार पुलिस अधिकारियों को निलंबित करने में देरी के लिए गुरुवार को मध्य प्रदेश सरकार और सीबीआइ को फटकार लगाई और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी भी दी।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और आर महादेवन की पीठ ने कहा कि पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार हैं, लेकिन उन्हें निलंबित नहीं किया गया है।
शीर्ष अदालत 24-वर्षीय पीड़ित देवा पारदी की मां की अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई को जांच सौंपने के 15 मई के आदेश का पालन नहीं किया गया।
स्थानीय पुलिस पर पारदी की मौत की जांच को प्रभावित करने और मामले को दबाने का प्रयास करने का आरोप लगाया गया है। सीबीआइ के वकील ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि दोनों अधिकारियों को बुधवार को निलंबित कर दिया गया।
इस पर पीठ ने कहा, कल क्यों? आप कह रहे हैं कि आरोपित पुलिस अधिकारी अप्रैल से फरार हैं। इसका मतलब है कि आप उन्हें बचा रहे हैं। अब यह वाकई अवमानना का मामला है। आप अप्रैल से ही उन्हें ढूंढ रहे हैं, फिर भी उन्हें निलंबित क्यों नहीं किया? इसका क्या मतलब है? आपकी सारी कोशिशें दिखावटी हैं।
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि ऐसा कोई आदेश नहीं था कि केवल सीबीआइ ही गिरफ्तारी करे। अगर आपकी सरकार का कोई अधिकारी इसमें शामिल है, तो आप इससे पल्ला नहीं झाड़ सकते।
देवा पारदी को उसके चाचा गंगाराम के साथ चोरी के एक मामले में हिरासत में लिया गया था। देवा की मां ने आरोप लगाया कि उनके बेटे को पुलिस ने प्रताडि़त किया और मार डाला। इसके विपरीत पुलिस ने दावा किया कि देवा की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। गंगाराम अभी न्यायिक हिरासत में है।
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