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    '50% वाली लिमिट याद रखिए...', OBC कोटे को लेकर सुप्रीम कोर्ट से सरकार को झटका; याचिका खारिज

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 01:42 PM (IST)

    तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना सरकार की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, या OBC, समुदायों के लिए बढ़े हुए रिज़र्वेशन पर हाई कोर्ट के अंतरिम स्टे को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने के साथ शीर्ष न्यायालय ने तेलंगाना सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।

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    सुप्रीम कोर्ट।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना सरकार की उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें अन्य पिछड़ा वर्ग, या OBC, समुदायों के लिए बढ़े हुए रिज़र्वेशन पर हाई कोर्ट के अंतरिम स्टे को चुनौती दी गई थी।

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    दरअसल, तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने राज्य में ओबीसी के लिए आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था। रेवंत रेड्डी की सरकार के इस फैसले को इससे पहले तेलंगाना हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने सरकार के इस फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

    इसके बाद राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के फैसले को शीर्ष न्यायालय में चुनौती दी गई थी। लेकिन यहां से भी राज्य की रेड्डी सरकार को झटका लगा है। हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इनकार करने के साथ शीर्ष न्यायालय ने तेलंगाना सरकार की याचिका को खारिज कर दिया।

    क्या है पूरा मामला?

    बता दें कि तेलंगाना की रेवंत रेड्डी सरकार ने हाल में ही ओबीसी को मिलने वाले आरक्षण की सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया था। विधानसभा में इसको लेकर एक प्रस्ताव भी लाया गया था। इसको विधानसभा से पारित कर दिया गया। हालांकि, कांग्रेस सरकार के इस कदम के खिलाफ उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई और आरक्षण सीमा को बढ़ाने को चुनौती दी गई।

    इस मामले में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने राज्य सरकार की अर्जी को खारिज कर दिया। साथ ही कहा कि जाति आधारित आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक नहीं की जा सकती है। इस बात का ध्यान रखना होगा। बता दें कि 1992 के इंदिरा साहनी केस में सुप्रीम कोर्ट ने जातिगत आरक्षण को 50 प्रतिशत कर दिया था।

    राज्य सरकार ने कोर्ट में दिया ये तर्क

    सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य ने तर्क दिया कि कोटा बढ़ाने का उद्देश्य लोकल बॉडी चुनावों के लिए OBCs को 42 परसेंट रिज़र्वेशन देना है। राज्य सरकार ने अपने फैसले को एक सही पॉलीसी करार दिया।

    राज्य सरकार की ओर से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सुंघवी ने कहा कि सभी पार्टियों का एकमत प्रस्ताव इस पॉलिसी का समर्थन करता है। बिना दलील के इस पर रोक कैसे लगाई जा सकती है? उन्होंने जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ से कहा कि ये लोग कौन होते हैं बिना दलील के रोक लगाने वाले, जब इसे विधानसभा ने सर्वसम्मति से पास किया था।

    हालांकि, राज्य सरकार के दलील के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दिया। अब हाईकोर्ट की ओर से आरक्षण बढ़ाने के फैसले पर लागू ये अंतरिम आदेश जारी रहेगा। उच्च न्यायालय ने 9 अक्तूबर को इस मामले में सुनवाई की थी और राज्य सरकार से 4 हफ्ते में जवाब मांगा था।

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