Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    'भगवान विष्णु के भक्त हो, उनसे ही कुछ करने के लिए कहो'; SC ने किस मामले में की ये टिप्पणी?

    Updated: Wed, 17 Sep 2025 10:05 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की बिना सिर की मूर्ति को रीस्टोर करने की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि यह मामला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधीन है और वे ही इस पर फैसला लेंगे। याचिकाकर्ता ने मूर्ति को मुगल आक्रमण में क्षतिग्रस्त बताकर भक्तों के पूजा के अधिकार का उल्लंघन बताया था जिसे कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया।

    Hero Image
    कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के दायरे में आता है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर में स्थित जावरी मंदिर के 7 फुट ऊंचे भगवान विष्णु की बिना सिर के मूर्ति को रिस्टोर करने की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को खारिज कर दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कोर्ट ने साफ कहा कि यह मामला पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के दायरे में आता है। इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह की बेंच कर रही थी।

    याचिकाकर्ता राकेश दलाल की अर्जी को सुनते हुए मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने तल्ख टिप्पणी की, "जाओ, अब भगवान से ही प्रार्थना करो। आप कहते हो कि आप भगवान विष्णु के भक्त हो, तो उनसे ही कुछ करने के लिए कहो। यह पुरातात्विक स्थल है, इसके लिए ASI की इजाजत चाहिए। खेद है, हम इसमें दखल नहीं दे सकते।"

    याचिका में दावा किया गया था कि मुगल आक्रमणों के दौरान इस मूर्ति को क्षतिग्रस्त किया गया था और आजादी के 77 साल बाद भी इसे ठीक नहीं किया गया। याचिकाकर्ता ने इसे भक्तों के पूजा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताया।

    मुगल आक्रमण के बाद टूट गई थी मूर्ति?

    राकेश दलाल की याचिका में खजुराहो मंदिरों के गौरवशाली इतिहास का जिक्र किया गया। इन्हें चंद्रवंशी राजाओं ने बनवाया था। याचिका में कहा गया कि मुगल आक्रमणों ने इन मंदिरों को नुकसान पहुंचाया और फिर औपनिवेशिक काल से लेकर आजादी के बाद तक इस मूर्ति की मरम्मत के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए।

    याचिकाकर्ता ने बताया कि इसके लिए कई बार प्रदर्शन, ज्ञापन और अभियान चलाए गए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

    याचिका में यह भी कहा गया कि मूर्ति की यह हालत भक्तों के धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचाती है। राकेश दलाल ने इसे संविधान के तहत मिले पूजा के अधिकार का हनन करार दिया।

    'ASI की जिम्मेदारी है, हमारी नहीं'

    सुप्रीम कोर्ट की बेंच, ने याचिका पर विचार करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि खजुराहो एक पुरातात्विक स्थल है और इसकी देखरेख ASI के जिम्मे है। मूर्ति को बहाल करने का फैसला ASI को ही लेना होगा।

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता को सलाह दी कि वे अपनी आस्था के बल पर भगवान से प्रार्थना करें। याचिका की पैरवी वरिष्ठ वकील संजय एम नुली ने की थी। हालांकि, कोर्ट ने उनकी दलीलों को ठुकराते हुए मामले को ASI के पाले में डाल दिया।

    (समाचार एजेंसी PTI के इनपुट के साथ)

    यह भी पढ़ें: वैक्सीनेशन ड्राइव से लेकर विश्वनाथ मंदिर पूजा तक... 11 साल में पीएम मोदी ने कहां और कैसे मनाया अपना जन्मदिन?