कांग्रेस विधायक मैथ्यू कुझालनादन को सुप्रीम कोर्ट से झटका, केरल के सीएम के खिलाफ की थी जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस विधायक मैथ्यू कुझालनादन की याचिका खारिज कर दी जिसमें सीएमआरएल और वीना विजयन की कंपनी के बीच कथित भुगतान की विजिलेंस जांच की मांग थी। अदालत ने कहा कि राजनीतिक विवादों को अदालत कक्ष के बाहर सुलझाया जाना चाहिए। कुझालनादन ने केरल हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी जिसमें विजिलेंस कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा गया था।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल में कांग्रेस विधायक मैथ्यू कुझालनादन की एक याचिका खारिज कर दी। इसमें उन्होंने कोचीन मिनरल्स एंड रूटाइल लिमिटेड (सीएमआरएल) और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की बेटी वीना विजयन की अब बंद हो चुकी आइटी कंपनी एक्सालाजिक सोल्यूशंस के बीच कथित मासिक भुगतान की विजिलेंस जांच की मांग की थी।
शीर्ष कोर्ट ने टिप्पणी की, ''राजनीतिक विवादों को अदालत कक्ष के बाहर सुलझाया जाना चाहिए।'' प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि अदालतों को राजनीतिक लड़ाई का मंच नहीं बनाया जाना चाहिए।
जस्टिस चंद्रन ने इस विचार से सहमति जताते हुए कहा कि आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों में कुझालनादन की सक्रिय भूमिका सराहनीय है, लेकिन इस तरह की सक्रियता की हर क्षेत्र में आवश्यकता नहीं है।
केरल हाई कोर्ट के फैसलों को दी थी चुनौती
कुझालनादन ने केरल हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसमें तिरुअनंतपुरम विजिलेंस कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा गया था। विजिलेंस कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। दोनों ही अदालतों को इस मामले में विजिलेंस जांच का आदेश देने का कोई आधार नहीं मिला था। याचिका खारिज होने के बाद कांग्रेस विधायक ने कहा कि उनकी याचिका तकनीकी आधार पर खारिज की गई है, लेकिन विवादास्पद मासिक भुगतान के मुद्दे पर उनकी राजनीतिक और कानूनी लड़ाई जारी रहेगी।
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद कुझालनादन के इस आरोप से शुरू हुआ था कि कोच्चि स्थित कंपनी सीएमआरएल, एक्सालाजिक को मासिक भुगतान करती है, जिससे मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़े हितों के टकराव का अंदेशा है। राज्य सरकार और संबंधित पक्षों ने इन आरोपों का लगातार खंडन किया है और इन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है।
(न्यूज एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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