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    'राजनेता हैं तो चमड़ी मोटी रखनी चाहिए...', भाजपा की याचिका पर सुनवाई के दौरान SC की अहम टिप्पणी

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 08:03 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा की तेलंगाना इकाई की याचिका खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक लड़ाई के लिए कोर्ट का इस्तेमाल न करें। अदालत ने हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा जिसमें मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी के खिलाफ मानहानि का मामला रद्द कर दिया गया था। भाजपा ने आरोप लगाया था कि रेड्डी ने लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भड़काऊ भाषण दिया।

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    भाजपा की तेलंगाना इकाई की याचिका खारिज कर दी (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भाजपा की तेलंगाना इकाई की एक याचिका खारिज कर दी और कहा कि राजनीतिक लड़ाई के लिए कोर्ट का इस्तेमाल न करें। अगर आप राजनेता हैं, तो आपकी चमड़ी मोटी होनी चाहिए।

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    याचिका में हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी के भाषण को लेकर उनके विरुद्ध मानहानि का मामला रद कर दिया गया था। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने कहा कि वे इस मामले में दखल देने के पक्ष में नहीं हैं।

    रेवंत रेड्डी के खिलाफ कोर्ट गई थी भाजपा

    एक अगस्त को तेलंगाना हाई कोर्ट ने हैदराबाद के ट्रायल कोर्ट में लंबित मामले में कार्यवाही रद करने की रेड्डी की याचिका पर कार्रवाई की थी। भाजपा की तेलंगाना इकाई ने अपने महासचिव के जरिये मई, 2024 में रेड्डी के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने पार्टी के विरुद्ध मानहानिकारक और भड़काऊ भाषण दिया था।

    रेड्डी ने तेलंगाना कांग्रेस के साथ मिलकर झूठा नैरेटिव बनाया था कि अगर भाजपा सत्ता में आई तो आरक्षण खत्म कर देगी। इससे भाजपा की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। ट्रायल कोर्ट ने पिछले वर्ष अगस्त में कहा था कि आइपीसी और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा-125 के तहत रेड्डी के विरुद्ध प्रथमदृष्टया मानहानि का मामला बनता है।

    धारा-125 चुनाव के संबंध में समुदायों के बीच द्वेष को बढ़ावा देने से संबंधित है। रेड्डी ने ट्रायल कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि शिकायत में लगाए गए आरोपों से प्रथमदृष्टया उनके विरुद्ध मामला नहीं बनता। उन्होंने कहा कि राजनीतिक भाषणों को मानहानि का विषय नहीं बनाया जा सकता।

    (न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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