कफ सीरप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका? की गई थी ये मांग
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में जहरीले कफ सीरप से बच्चों की मौत के मामले में दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया है। चीफ जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता विशाल तिवारी से सवाल करने के बाद यह फैसला सुनाया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकारें इस मामले में गंभीरता से कार्रवाई कर रही हैं और उनके पास उचित कानून प्रवर्तन तंत्र मौजूद है।

कफ सीरप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका खारिज कर दी। इसमें मध्य प्रदेश और राजस्थान में कथित जहरीले कफ सीरप के सेवन से बच्चों की मौत के मद्देनजर जांच और औषधि सुरक्षा तंत्र में प्रणालीगत सुधार की मांग की गई थी।
चीफ जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने वकील विशाल तिवारी की तरफ से दायर जनहित याचिका सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद खारिज कर दी।
सॉलिसिटर जनरल ने क्या कहा?
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता अखबार पढ़ते हैं और याचिका दाखिल करने के लिए कोर्ट पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि वह इस समय किसी राज्य की तरफ से पेश नहीं हो रहे, लेकिन तमिलनाडु और मध्य प्रदेश जैसे राज्य गंभीरता से कार्रवाई कर रहे हैं। इसे कम आंका नहीं जा सकता। राज्यों में उचित कानून प्रवर्तन तंत्र मौजूद हैं।
पीठ ने नोटिस जारी करने पर किया था विचार
पीठ ने पहले नोटिस जारी करने का विचार किया था, लेकिन बाद में याचिका खारिज कर दी। पीठ ने तिवारी से पूछा कि उन्होंने अब तक शीर्ष अदालत में कितनी जनहित याचिकाएं दाखिल की हैं और जब यह बताया गया कि उन्होंने अब तक आठ से दस ऐसी याचिकाएं दायर की हैं तो उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
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