Gyanvapi Case: ज्ञानवापी के तहखाने में जारी रहेगी पूजा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या-क्या कहा? यहां पढ़ें
सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तलगृह में चल रही पूजा अर्चना पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार किया।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तलगृह में पूजा के संबंध में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा यथास्थिति कायम रहेगी और मुसलमानों की नमाज भी जारी रहेगी उसमें भी यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। कोर्ट ने माना कि तलगृह में पूजा से नमाज पर असर नहीं पड़ रहा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी में ज्ञानवापी स्थित व्यास जी के तलगृह में चल रही पूजा अर्चना पर रोक लगाने से सोमवार को इनकार कर दिया। कोर्ट ने तलगृह में पूजा के जिला अदालत और हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी की याचिका पर काशी विश्वनाथ मंदिर के ट्रस्टियों और शैलेन्द्र व्यास को नोटिस भी जारी किया है।
SC के आदेश में क्या-क्या?
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि तलगृह में पूजा के संबंध में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा यथास्थिति कायम रहेगी और मुसलमानों की नमाज भी जारी रहेगी उसमें भी यथास्थिति बनाए रखी जाएगी। कोर्ट ने माना कि तलगृह में पूजा से नमाज पर असर नहीं पड़ रहा है।
पूजा के साथ-साथ नमाज भी रहेगी जारी
मुसलमान नमाज अदा करने के लिए उत्तर की तरफ से मस्जिद में बिना बाधा प्रवेश कर सकते हैं जबकि तलगृह में पूजा के लिए पुजारी दक्षिणी प्रवेश द्वार से जाते हैं। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को मामले पर करीब दो घंटे तक लंबी सुनवाई करने के बाद दिए। वाराणसी की अदालत ने 31 जनवरी को ज्ञानवापी में व्यास जी के तलगृह में पूजा अर्चना की अनुमति दे दी थी। जिला अदालत ने माना था कि पूजा अनुष्ठान रोकने का उत्तर प्रदेश सरकार का 1993 का आदेश अवैध था।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को रखा बरकरार
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा था। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर व्यास जी के तलगृह में पूजा की इजाजत के आदेश को चुनौती दी है। सोमवार को मस्जिद कमेटी की ओर से याचिका पर बहस करते हुए वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि इस मामले में वाराणसी की जिला अदालत ने ज्ञानवापी में व्यास जी के तलगृह में पूजा की इजाजत दे दी है।
जिला अदालत ने 31 जनवरी को यह आदेश दिया और आदेश लागू करने के लिए सात दिन का समय दिया लेकिन प्रशासन ने आनन फानन में चार घंटे में ही आदेश लागू कर दिया और वहां से बैरेकेटिंग हटाकर सुबह चार बजे पूजा शुरू करा दी। अहमदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पूजा पर रोक लगा दे क्योंकि इस तरह थोड़ा करके टुकड़ों में उनकी मस्जिद हथियाई जा रही है।
30 साल से कोई पूजा नहीं हुई
प्रशासन ने इतनी फुर्ती से आदेश लागू किया कि उन्हें उसे कानूनन चुनौती देने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा कि 1993 से 2023 तक 30 साल से कोई पूजा नहीं हुई थी पूरा मस्जिद परिसर उनके कब्जे में था लेकिन अब धीरे धीरे ये उनसे छिन रहा है पहले वजू खाने को सील किया गया और अब दक्षिणी छोर पर तलगृह में पूजा की इजाजत दे दी गई है।
ऐसी ही बहुत ही अर्जियां निचली अदालत में लगातार दाखिल की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि तलगृह में व्यास से के रहने की तो बात आती है लेकिन वहां पूजा होती थी इस बारे में कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर कोर्ट ने अभी रोक नहीं लगाई तो बाद में कहा जाएगा कि यह चल रहा है तो उसे अब क्यों रोका जाए। कहा कि इतिहास से हमें सीखना चाहिए जहां कोर्ट को आश्वासन के बावजूद हिंसा हुई थी। उनकी दलीलों पर चीफ जस्टिस ने पूछा कि जो लोग तलगृह में पूजा करने जाते हैं वे कहां से जाते हैं और नमाज के लिए जाने वाले कहां से जाते हैं।
तलगृह में पूजा के लिए पुजारी दक्षिण के प्रवेश द्वार से जाते हैं
कोर्ट को बताया गया कि दोनों अलग अलग जगह से जाते हैं। नमाज के लिए मस्जिद में प्रवेश उत्तर की ओर स्थित सीढि़यों से होता है जबकि तलगृह में पूजा के लिए पुजारी दक्षिण के प्रवेश द्वार से जाते हैं। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि इसका मतलब है कि तलगृह में होने वाली पूजा से नमाज पर कोई असर नहीं पढ़ता। यह कहा जा सकता है कि यथास्थिति रखी जाए कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। नमाज जारी रहने दीजिए और दक्षिण में तलगृह में पूजा जारी रह सकती है। हालांकि अहमदी लगातार रोक आदेश की मांग करते रहे।
दूसरी ओर मंदिर पक्ष और व्यास परिवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान और विष्णु शंकर जैन ने मस्जिद कमेटी की दलील का विरोध करते हुए कहा कि कोर्ट को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए। यहां तक कि यह मामला तो नोटिस जारी करने लायक भी नहीं है। निचली अदालत और हाई कोर्ट ने कारण सहित आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पूजा और नमाज के मामले में यथास्थिति कायम रखने का आदेश देते हुए मामले में नोटिस जारी किया और केस को जुलाई में फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।
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