BJP Ads Against TMC: 'नीचा दिखाने वाले लगते हैं विज्ञापन...', भाजपा के विज्ञापनों पर प्रतिबंध हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा की एक याचिका को ठुकराते हुए हाई कोर्ट के पार्टी के चुनावी विज्ञापनों पर लगाए गए प्रतिबंध को नहीं हटाया।सर्वोच्च अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया भाजपा के यह विज्ञापन नीचा दिखाने वाले लगते हैं।कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक एकल जज की पीठ के भाजपा के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में दखल देने से इनकार कर दियाथा।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ भाजपा की एक याचिका को ठुकराते हुए हाई कोर्ट के पार्टी के चुनावी विज्ञापनों पर लगाए गए प्रतिबंध को नहीं हटाया। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया भाजपा के यह विज्ञापन नीचा दिखाने वाले लगते हैं।
SC ने HC के फैसले में दखल देने से किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस केवी विश्वानाथन की अवकाशकालीन खंडपीठ ने सोमवार को कोलकाता हाई कोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार करते हुए कहा कि हमने विज्ञापनों को देखा है। प्रथम दृष्टया ही यह विज्ञापन नीचा दिखाने वाले और अपमानजनक लगते हैं। आप खुद को सर्वश्रेष्ठ बताकर 'प्रमोट' कर सकते हैं। लेकिन अब हम आपको और कटुता बढ़ाने का मौका नहीं देंगे। इस मामले में दखल देने की हमें कोई वजह नहीं लगती है।
भाजपा ने खटखटाया था SC का दरवाजा
उल्लेखनीय है कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक एकल जज की पीठ के भाजपा के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुनवाई के दौरान भाजपा की ओर से पेश होते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने पार्टी का पक्ष रखते हुए कहा कि हाई कोर्ट ने यह आदेश इस बात का संज्ञान लिए बगैर पारित किया कि इस बारे में कोई मांग की ही नहीं गई थी।
उन्होंने कहा कि भाजपा के विज्ञापन तथ्यों पर आधारित हैं। जबकि इस मामले में तृणमूल कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी और अमित आनंद तिवारी पेश हुए।
क्या है पूरा मामला?
उल्लेखनीय है कि विगत 18 मई को तृणमूल कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आयोग ने भाजपा के खिलाफ उसके विज्ञापनों पर आपत्ति जताते हुए कारण बताओ नोटिस भेजा था। भाजपा ने इसका जवाब 21 मई को दिया था। लेकिन 20 मई को ही हाई कोर्ट में भी इस संबंध में एक याचिका दायर की गई थी।
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